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EPFO Minimum Pension: प्राइवेट जॉब करने वालों को मिलेगी मिनिमम 9000 रुपये पेंशन, जानिए अभी-अभी का लेटेस्ट अपडेट

An image of featured content फोटो: PGDP

EPFO Minimum Pension:   हाल ही में केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों (government employees) के लिए एक बड़ी घोषणा की है – यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)। इस नई पेंशन योजना के तहत 25 साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट (retirement of employees) से पहले के अंतिम 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी (basic salary) का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। यह योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी और इससे लाखों सरकारी कर्मचारियों (government employees) को फायदा होने वाला है।

private sector के कर्मचारियों की भी उठी मांग

सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन सुनिश्चित करने के बाद अब private sector के कर्मचारी भी इसी तरह की मांग कर रहे हैं। एम्पलाइज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) के तहत आने वाले संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों ने भी एम्पलाइज पेंशन स्कीम (Employees Pension Scheme) के तहत न्यूनतम मासिक पेंशन (minimum monthly pension)  बढ़ाने की आवाज़ तेज कर दी है।

EPF पेंशनर्स Association की मांग

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चेन्नई स्थित EPF पेंशनर्स वेलफेयर Association (Pensioners Welfare Association) ने केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखकर पेंशन बढ़ाए जाने की मांग की है। इस पत्र में Association ने सरकार से महंगाई भत्ते के साथ न्यूनतम मासिक पेंशन को बढ़ाकर 9,000 रुपये करने की अपील की है।

75 लाख पेंशनर्स का मुद्दा

Association ने अपने पत्र में यह भी जिक्र किया कि जब सरकारी कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना लाई जा रही है, तो EPS-1995 के तहत आने वाले करीब 75 लाख पेंशनर्स को नज़रअंदाज़ किया गया है। इन पेंशनर्स की आवाज़ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

पहले भी हुई है पेंशन बढ़ाने की मांग

इससे पहले EPS-95 नेशनल एजिटेशन कमेटी ने भी जुलाई 2024 में दिल्ली में प्रदर्शन कर सरकार से मासिक पेंशन को बढ़ाकर 7,500 रुपये करने की मांग की थी। इस कमेटी के पास लगभग 78 लाख रिटायर्ड पेंशनर्स और 7.5 करोड़ इंडस्ट्री से जुड़े कर्मचारी शामिल हैं।

मौजूदा पेंशन व्यवस्था और गणना

वर्तमान में EPS-1995 स्कीम के तहत पेंशन की न्यूनतम सीमा 1,000 रुपये प्रति माह है, जिसे सितंबर 2014 में घोषित किया गया था। श्रम मंत्रालय ने पिछले साल इसे दोगुना कर 2,000 रुपये करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी। पेंशन की गणना के लिए एक फार्मूला इस्तेमाल होता है: अंतिम 60 महीनों की बेसिक सैलरी X नौकरी का कार्यकाल/70। इसके आधार पर पेंशन की रकम तय होती है।

कर्मचारी के पीएफ और ईपीएस में योगदान

कंपनी या संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 12% हर महीने पीएफ खाते में जमा होता है। इसके अलावा, कंपनी भी उतना ही योगदान करती है। इस 12% में से 8.33% एम्पलाइज पेंशन स्कीम (EPS) में जमा होता है, जबकि बाकी 3.67% एम्पलाइज प्रॉविडेंट फंड (EPF) में जाता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आपकी बेसिक सैलरी 10,000 रुपये है, तो हर महीने कंपनी EPS खाते में 833 रुपये जमा करेगी। जैसे-जैसे आपकी सैलरी बढ़ती है, वैसे-वैसे कंपनी का योगदान भी बढ़ता है। इस तरह नौकरी खत्म होने के बाद कर्मचारी को पेंशन का हकदार बना दिया जाता है।

EPS के तहत मिलने वाली पेंशन

EPS योजना के तहत 7 तरह की पेंशन मिलती है, जिनमें से कुछ पेंशन विशेष परिस्थितियों में कर्मचारी के परिवार या नॉमिनी को भी मिल सकती हैं।

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