Success Story || मात्र ₹20000 खर्च करके दोस्तों ने खड़ी कर दी 23 करोड़ की कंपनी क्या था वह आइडिया आप भी जाने

 आज भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बिकता है प्रोडक्ट

आज के समय में व्यवसाय शुरू करने के लिए बहुत सारे माध्यम जरूरत सिर्फ इस बात की है की वेबसाइट शुरू करने के लिए कौन सा आईडिया कम कर जाए और किसपर काम किया जाए

Success Story || मात्र ₹20000 खर्च करके दोस्तों ने खड़ी कर दी 23 करोड़ की कंपनी क्या था वह आइडिया आप भी जाने

Success Story || आज के समय में व्यवसाय शुरू करने के लिए बहुत सारे माध्यम (many  mediums)जरूरत सिर्फ इस बात की है की वेबसाइट शुरू करने के लिए कौन सा आईडिया (Idea) कम कर जाए और किसपर काम किया जाए इसके लिए योजना (planning ) बनाने की आवश्यकता है ।आज हम जिस सफलता की कहानी ( success story) की बात कर रहे हैं वह सफलता की कहानी किसी फिल्म की कहानी ( Film story)से काम नहीं है। अलग-अलग परिवारिक पृष्ठभूमि और अलग राज्यों के दो युवा एमबीए करते हुए दोस्त बनते हैं जो शुरूआत करता है उनके व्यावसायिक सफर की। आज हम बात कर रहे हैं दो सफल लोगों की। सफल दोस्त जिनका नाम है वैभव जायसवाल और अमरदीप वर्धन इन्होंने अरेका पाम यानी के सुपारी के पत्तों का इस्तेमाल ( use, करके भारत में सदियों से चल रहे पत्र बनाने के परंपरा को आगे बढ़ते हुए अपना व्यवसाय (business) बनाया।

यह प्लेट पर्यावरण अनुकूल होने के साथ स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी देती है। अमरदीप वर्धन और वैभव जायसवाल ने   अरेका पाम यानी के सुपारी के पत्तों के फायदे को पहचानते हुए इसे अपने बिजनेस के लिए इसी पदार्थ का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया। दुनिया के 75 फीसदी पत्ते भारत में होते हैं। इससे इन पत्तों से बने कोई भी उत्पाद भारतीय  एकाअधिकार वाले प्रोडक्ट बन जाते हैंम इसके अलावा कच्चे माल के लिए चीन जैसे किसी विदेशी प्रतिस्पर्धा का डर भी नहीं रहता। सुपारी के प्रमुख बागान वाले राज्य तमिलनाडु कर्नाटक और केरल में है इस आईडिया के दम पर दोनों दोस्तों ने ₹20000 के निवेश से आज 23 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी है।

 पढ़ाई करते आइडिया आया और क्या काम शुरू

2010 में दोनों( MBA) की पढ़ाई करते हुए अमरदीप और वैभव ने असम में एक छोटे स्थानीय किसानों (local farmer) से मिलना शुरू किया। आरेका पाम के पत्ते उनके संग्रह और प्लेट (plates) बनाने की प्रक्रिया के बारे में जानने लगे और जानकारी एकत्रित करने लगे। उन्होंने पाया कि यह पत्ते सुरक्षा देने का काम करते हैं वह फल के विकास के दौरान उसे रखते हैं फल के पकने पर जमीन पर गिर जाते हैं। यह पत्ते मजबूत और चिकने होते हैं यह उन्हें प्लेट बनाने के लिए आदर्श बनाते हैं। 

 बाजार का अध्ययन शुरू किया

 इन दोनों दोस्तों ने महसूस किया कि आरेका के पत्तों की प्लेटों के डिजाइन और आकार में एक नयापन (new)  होना चाहिए। यही नहीं इनमे इनोवेशन भी होना चाहिए। हालांकि सीमित धन ( less amount) के कारण उन्होंने महंगी मशीन खरीदने के बजाय विभिन्न प्रकार के प्लाटों के लिए मोड और डाई बनाने में निवेश करने का फैसला किया है। उन्होंने प्लेटों का उत्पादन करने के लिए असम में स्थानीय निर्माता के साथ सहयोग के लिए अपील की फिर उन्होंने प्रकृति ब्रांड नाम (prakriti brand name) से बाजार में उतारने का फैसला किया। 2021 में उन्होंने अमेरिकी बाजार में छोटी खेप का निर्यात भी करना शुरू कर दिया।

अपनी मैन्युफैक्चरिंग बेस को शिफ्ट किया

जैसे-जैसे दोनों दोस्तों की कंपनी कोवपहचान  मिलती गई तो उन्होंने अपने काम को बढ़ाने का निर्णय लिया मबअसम में काम करने की सीमाओं का उनको सामना करना पड़ा। भारी बारिश के कारण कच्चे माल ( raw meterial) की कमी हो गई और उत्पादन रुक गया। जिससे उत्पादन में रोक लग गई। उन्होंने 2012 में अपने उत्पाद बेस को तमिलनाडु में पट्रांसफर (transfer)करने का फैसला किया। यहां पर प्रचुर मात्रा में धूप और बड़े चमकीले पत्ते उपलब्ध थे। उन्होंने अपने फर्म को प्रकृति इंटरनेशनल प्राइवेट को रजिस्टर भी करवाया। फिर कोयंबटूर में स्थानीय पत्र निर्माता के साथ इन्होंने भागीदारी की। इस कदम से उन्हें दिल्ली और पंजाब से अच्छे आर्डर मिलेम साल 2013 में उन्होंने यूरोपीय बाजार (european market) में उत्पादों का निर्यात करके अपनी बड़ी सफलता हासिल की।

व्यापार बढ़ाने के लिए अपनाया खास मॉडल

अपनी क्षमताओं का तेजी से विस्तार ( development) करने के लिए दोनों दोस्तों ने अप स्पोक मॉडल अपनाया है। इसमें केंद्रीय कई विस्तृत क्षेत्र में फैली छोटी इकाइयों के साथ काम किया करती है वह मुख्य कार्य में निवेश करते हैं छोटी इकाई को तकनीकी (technical) जानकारी प्रदान करते हैं। स्थानीय लोग विशेष रूप से महिलाएं (women)इसे संचालित करती है। उन्होंने इस मॉडल पर काम करते हुए आगे बढ़ना शुरू किया । वर्तमान में प्रकृति के कर्नाटक में एक मुख्य इकाई और 18 उप इकाईयां है। तमिलनाडु में 14 छोटी इकाईयों के साथ एक मुख्य इकाई है। इस तरह से इन दोनों दोस्तों ने ₹20000 के निवेश से आज 23 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी है जो युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।

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