क्या हिमाचल में 1500 रूपए के चक्कर में बंद हो जाएगी OPS, जानिए प्रदेश सरकार का पूरा प्लान

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न्यूज हाइलाइट्स

सारांश:

​शिमला: हिमाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन में प्रदेश के कर्मचारियों का अहम रोल रहा हुआ है। हिमाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन में ओल्ड पेंशन स्कीम से कर्मचारी बेहद खुश है। ऐसे में सुख सरकार पर लगातार बढ़ रहा कर्ज के बोझ को अब प्रदेश कांग्रेस सरकार कैसे उतरेगी यह एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। जहां हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार की ओर से अपने वादों के मुताबिक अब प्रदेश की सभी महिलाओं को हर महीने ₹1500 देने का वादा भी पूरा किया गया है। ऐसे में अब हिमाचल सरकार पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रदेश की मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा ₹1500 पहले लाहौल स्पीति की महिलाओं को दिया गया उसके बाद अब पूरे हिमाचल प्रदेश की उन तमाम महिलाओं को दिया जा रहा है । अब प्रदेश की सभी महिलाओं को ₹1500 मिलना शुरू हो गए हैं हालांकि सभी जिलों में यह राशि मिलनी शुरू नहीं हुई है लेकिन प्रदेश के कुछ एक जिलों में मौजूदा समय में महिलाओं को ₹1500 मिलना शुरू हो गए हैं।

दोनों योजनाओं पर अब संकट

वहीं अगर बात की जाए ओल्ड पेंशन स्कीम की तो हिमाचल की आई पहले से ही साधन सीमित है बजट का एक बड़ा हिस्सा हिमाचल प्रदेश के तमाम उन कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में चला जाता है ऐसे में हिमाचल में बरसात के लगातार बदल रहे तेवर के कारण करोड़ों का नुकसान हर साल हो रहा है यह बात 16वें वित्तीय आयोग ने भी पूरी तरह से मानी हुई है। क्योंकि आयोग के डा. अरविंद पनगढिय़ा ने बताया कि वह पुरानी पेंशन दोबारा बाल होने और फ्री की रेवड़ियां बांटने के मामले उनके ध्यान में है। इन पहलू को फाइनेंस कमीशन अपनी रिपोर्ट में एड्रेस करेगा। उसी के मुताबिक है वित्तीय आयोग हिमाचल प्रदेश को पैसा देगा। यदि वित्तीय आयोग ओल्ड पेंशन स्कीम और महिलाओं को ₹1500 देने के मामले में मंथन करता है तो इसका लाभ हानि पर भी सोच विचार करता है तो इन दोनों योजनाओं पर अब संकट मंडराता हुआ नजर आ रहा है। यदि हिमाचल प्रदेश में इन दोनों योजनाओं को लागू किया जाता है तो प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर लगातार बोझ बढ़ता जाएगा।
 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हटाई थी ओपीएस

पुरानी पेंशनों को फिर से शुरू करने पर केंद्रीय सरकार स्पष्ट रूप से विरोध करती है, क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर भारी बोझ डाला जाएगा। पुरानी पेंशन 22 दिसंबर 2003 को, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ओपीएस को हटाकर एनपीएस नामक नई पेंशन व्यवस्था लागू की। डा. मनमोहन सिंह ने 2004 में यूपीए सरकार बनने पर ओल्ड पेंशन बंद करने का निर्णय भी सही ठहराया। फिर यूपीए सरकार ने 21 मार्च 2005 को लोकसभा में पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डिवेलपेंट अथारिटी ऑफ इंडिया का गठन करने का विधेयक प्रस्तुत किया।

NPS, यानी न्यू पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए ही नियंत्रण निकाय बनाया गया था। डा. मनमोहन सिंह ने पेंशन रिफॉर्म पर भी मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई थी। उस वक्त, उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय ने पुरानी पेंशन को गंभीरता से विचार किया है। यह पेंशन भविष्य में अधिक खर्चीला होगा अगर यह जारी रहा। राज्यों को विकसित करने के लिए धन की आवश्यकता है। पुरानी पेंशन से वित्तीय खतरा बढ़ जाएगा। सीमित संसाधनों के चलते, पेंशन में परिवर्तन आवश्यक है। योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और डा. मनमोहन सिंह के भरोसेमंद अधिकारी मोंटेक सिंह आहलुवालिया ने भी कहा कि पुरानी पेंशनों को बहाल करने का अर्थ है वित्तीय दिवालियापन।

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