Sanjauli Mosque Case : हिमाचल में हिंदू संगठनों का प्रदर्शन, मस्जिद का सुरक्षा घेरा बढ़ाया, प्रदेश में अलर्ट जारी
न्यूज हाइलाइट्स
Sanjauli Mosque Case : शिमला: हिमाचल प्रदेश में हिंदू संगठनों द्वारा अवैध मस्जिद निर्माण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। विश्व हिंदू परिषद ने आज हिमाचल बंद का आह्वान किया है और दुकानदारों से अनुरोध किया है कि वे दोपहर 1:30 बजे तक अपनी दुकानें बंद रखें। इस कदम का उद्देश्य अवैध निर्माण के खिलाफ एकजुटता और जागरूकता बढ़ाना है।
कुल्लू जिले में भी स्थिति तनावपूर्ण है। व्यापार मंडल ने कुल्लू और भुंतर में आधे दिन के लिए बंद का आह्वान किया है, जिससे स्थानीय व्यापार प्रभावित हो सकता है। वहीं, मंडी नगर निगम ने अवैध मस्जिद को तोड़ने के लिए 30 दिन का अल्टीमेटम जारी किया है। यदि नगर निगम के आदेशों का पालन नहीं किया गया, तो कार्रवाई की जाएगी। सुन्नी में भी आज हिंदू संगठनों द्वारा प्रदर्शन किया जाएगा, जिसे लेकर प्रशासन ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है। प्रदर्शनकारियों की संख्या और आंदोलन की तीव्रता को देखते हुए सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए गए हैं। इस विरोध के पीछे मुख्य मुद्दा यह है कि हिंदू संगठनों का दावा है कि कुछ मस्जिदें अवैध रूप से बनाई जा रही हैं और इनका निर्माण स्थानीय नियमों और विधियों का उल्लंघन करता है। प्रशासन और पुलिस दोनों ही स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं, ताकि शांति और व्यवस्था बनी रहे।
#WATCH | Shimla, Himachal Pradesh: People in the Sunni town of Shimla hold a protest over the Sanjauli mosque pic.twitter.com/8AihGDKUie
— ANI (@ANI) September 14, 2024
चंबा बाजार में छाया सनाटा
जिला चंबा में विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदू संगठनों के आह्वान पर आज बाजार पूरी तरह से बंद हैं। सुबह 9:00 बजे से लेकर दोपहर 12:00 बजे तक दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद रखने की अपील की गई थी। इस अवधि में बाजार में पूर्ण सन्नाटा छा गया और व्यावसायिक गतिविधियाँ ठप हो गईं। विश्व हिंदू परिषद ने व्यापारियों से तीन घंटे तक बाजार बंद रखने की अपील की थी, और दुकानदारों ने इस आह्वान का पूरी तरह से समर्थन किया। परिषद के प्रांत अध्यक्ष डॉ. केशव वर्मा ने बताया कि दुकानदारों और व्यापारियों ने इस पहल में पूरी तरह से सहयोग किया और उनके समर्थन से यह आंदोलन सफल रहा। डॉ. वर्मा ने कहा कि इस तरह के समर्थन से यह संदेश जाता है कि स्थानीय समुदाय मुद्दों पर एकजुट है और वे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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