हिमाचल के इन लोगों को बड़ा झटका, 15 अगस्त के बाद मनरेगा में नहीं आएगा नाम, जारी हुआ नया फरमान!

क्यों लेना पड़ा यह कड़ा फैसला?
दरअसल, ग्रामीण विकास विभाग को लगातार ऐसी शिकायतें या स्पष्टीकरण के लिए अनुरोध मिल रहे थे, जिनमें पूछा जा रहा था कि क्या नियमित आय वाले सरकारी कर्मचारी (Government Employees) भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं। इस भ्रम को दूर करने और योजना को उसके असली मकसद तक पहुंचाने के लिए ग्रामीण विकास विभाग (Rural Development Department) के सचिव की ओर से यह नया फरमान जारी किया गया है।
क्या कहता है सरकार का नया आदेश?
विभाग की ओर से जारी आदेशों में भारत सरकार के वार्षिक मास्टर सर्कुलर (2024-25) का हवाला देते हुए साफ कहा गया है कि जॉब कार्ड (Job Card) केवल उन ग्रामीण परिवारों को ही जारी किया जा सकता है, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से तैयार हों।
अब पंचायतों को करनी होगी कड़ी जांच
इस नए नियम के बाद अब ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। आदेशों में कहा गया है कि पंचायतें जॉब कार्ड जारी करने से पहले आवेदक की पूरी तरह से जांच-पड़ताल (सत्यापन) करें। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि मनरेगा का लाभ केवल उन्हीं परिवारों को मिले जिनके पास आजीविका का कोई दूसरा स्थायी या वैकल्पिक साधन मौजूद नहीं है। सरकार का मानना है कि मनरेगा अधिनियम उन लोगों को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए बनाया गया है, जिनके पास कोई नियमित आय या स्थायी रोजगार नहीं है। इस फैसले से अब यह सुनिश्चित होगा कि योजना का पैसा और रोजगार सही और जरूरतमंद हाथों तक पहुंचे।