शिमला: ज्ञान के प्रकाश से हिमाचल प्रदेश पूरी तरह से रोशन हो गया है। प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसी छलांग लगाई है, जिसने उसे देश के सबसे शिक्षित राज्यों की élite list में शामिल कर दिया है। हिमाचल प्रदेश को अब आधिकारिक तौर पर ‘पूर्ण साक्षर राज्य’ का दर्जा मिल गया है। यह गौरवशाली उपलब्धि प्रदेश की 99 प्रतिशत आबादी के साक्षर होने के बाद हासिल हुई है, जो राज्य के लिए एक बहुत बड़े सम्मान की बात है।
कैसे मिली यह ऐतिहासिक सफलता? (Ullas Nav Bharat Saksharta Karyakram)
हिमाचल की इस शानदार सफलता के पीछे केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस कार्यक्रम को प्रदेश में जमीनी स्तर पर बेहद प्रभावी ढंग से लागू किया गया। इस योजना का मुख्य लक्ष्य 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के उन सभी नागरिकों को कार्यात्मक साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्रदान करना था, जो औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके थे। योजना के तहत विशेष रूप से महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों और अन्य वंचित समूहों पर ध्यान केंद्रित किया गया, ताकि समाज का कोई भी वर्ग शिक्षा के प्रकाश से अछूता न रहे। इस योजना में केवल अक्षर ज्ञान ही नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण जीवन कौशल (जैसे वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, कानूनी जागरूकता), व्यावसायिक कौशल विकास और बुनियादी शिक्षा पर भी जोर दिया गया।
क्या हैं इस उपलब्धि के मायने?
किसी राज्य का ‘पूर्ण साक्षर’ होना सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि इसके गहरे सामाजिक और आर्थिक मायने हैं:
- महिला सशक्तिकरण: साक्षरता बढ़ने से महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनती हैं।
- बेहतर स्वास्थ्य: शिक्षित नागरिक स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर अधिक जागरूक होते हैं, जिससे समाज का स्वास्थ्य स्तर सुधरता है।
- आर्थिक विकास: साक्षरता दर बढ़ने से राज्य के आर्थिक विकास को भी गति मिलती है, क्योंकि कुशल और शिक्षित कार्यबल तैयार होता है।
- जागरूक समाज: एक शिक्षित समाज सरकारी योजनाओं का बेहतर लाभ उठा सकता है और लोकतंत्र में अपनी भागीदारी को और मजबूत कर सकता है।
अब इन राज्यों के खास क्लब में शामिल हुआ हिमाचल
99% साक्षरता दर के साथ, हिमाचल प्रदेश अब देश के उन चुनिंदा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खास क्लब में शामिल हो गया है, जिन्हें ‘पूर्ण साक्षर’ होने का गौरव प्राप्त है। इस सूची में पहले से केरल, मिजोरम और लक्षद्वीप शामिल हैं। यह उपलब्धि न केवल आंकड़ों में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह प्रदेश के हर नागरिक के उज्ज्वल और सशक्त भविष्य की गारंटी भी है।