शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बार फिर कड़ा संदेश देते हुए साबित कर दिया है कि उसके आदेशों से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अदालती निर्देशों की लगातार अनदेखी करना रामपुर के नायब तहसीलदार सुरेश कुमार नेगी को बेहद महंगा पड़ गया। एक अभूतपूर्व फैसले में, हाईकोर्ट ने न केवल अधिकारी को फटकार लगाई, बल्कि उनकी सरकारी स्कॉर्पियो गाड़ी को चाबियों समेत जब्त करने का फरमान भी सुना दिया। यह सख्त कार्रवाई एक स्पष्ट High Court order का पालन न करने का नतीजा है।
अदालत ने अपने फैसले में यह भी साफ कर दिया है कि जब्त की गई यह गाड़ी अब धूल नहीं फांकेगी, बल्कि इसका इस्तेमाल जनहित में होगा। इस स्कॉर्पियो को अब मंडी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को सौंपा जाएगा, ताकि इसे आपदा राहत कार्यों में लगाकर जरूरतमंदों तक फौरन मदद पहुंचाई जा सके। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने दो टूक कहा कि जब तक encroachment removal का काम पूरा नहीं हो जाता, यह गाड़ी जब्त ही रहेगी।
यह मामला ‘पुष्पानंद बनाम हिमाचल प्रदेश’ से जुड़ा है, जिसकी सुनवाई के दौरान नायब तहसीलदार सुरेश कुमार नेगी व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए। खंडपीठ ने पाया कि अधिकारियों को बार-बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। अदालत ने पहले ही साफ कर दिया था कि आदेशों की अनदेखी को contempt of court माना जाएगा और कड़ी कार्रवाई होगी, लेकिन प्रशासन की तरफ से ढिलाई बरती जाती रही। दरअसल, यह पूरा मामला साल 2019 से लटका हुआ है और राष्ट्रीय राजमार्ग-5 से याचिकाकर्ता के घर तक एक एंबुलेंस रोड बनाने में आ रहे अतिक्रमण से जुड़ा है। अदालत ने इस पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि अधिकारियों ने बेदखली वारंट जारी करने में भी बेवजह देरी की। इस तरह की लापरवाही न केवल judicial process का मजाक उड़ाती है, बल्कि इससे आम आदमी को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।