Dr Raghav Narula Termination Case || मरीज तड़प रहे, डॉक्टर कर रहे राजनीति! मारपीट के आरोपी को बचाने के लिए धरती के भगवान बने पत्थर दिल

Dr Raghav Narula Termination Case || IGMC में मारपीट के आरोपी डॉक्टर की बर्खास्तगी के खिलाफ डॉक्टरों ने मरीजों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। रविवार को भी हड़ताल जारी रही, जिससे तीमारदार परेशान हैं। सीएम सुक्खू के भरोसे के बाद भी डॉक्टर काम पर लौटने को राजी नहीं हैं, जो उनकी संवेदनहीनता को दर्शाता है।

Dr Raghav Narula Termination Case ||  हिमाचल प्रदेश में धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों का एक ऐसा चेहरा सामने आया है, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। IGMC में मारपीट जैसे गंभीर आरोप में बर्खास्त किए गए एक सीनियर रेजिडेंट डॉ. राघव नरुला (Senior Resident Dr. Raghav Narula)  के समर्थन में पूरे प्रदेश के डॉक्टर उत्तर आए है। रविवार को भी ये डॉक्टर मरीजों का इलाज करने के बजाय IGMC के अटल सभागार के बैडमिंटन हॉल में इकट्ठे होकर नारेबाजी करते रहे। हैरानी की बात यह है कि एक violent conduct के आरोपी को बचाने के लिए डॉक्टरों ने हजारों मरीजों की जान जो​खिम में डाल दी है।

आरोपी डॉक्टर के समर्थन में हड़ताल, मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़

डॉक्टरों की इस जिद और अड़ियल रवैये का खामियाजा उन गरीब और लाचार मरीजों को भुगतना पड़ रहा है, जो दूर-दराज के इलाकों से इलाज की आस लेकर शिमला और अन्य बड़े अस्पतालों में पहुंचे थे। कई जगहों पर OPD services disrupted रहीं और जरूरी ऑपरेशन तक टाल दिए गए। अस्पताल परिसरों में मरीज दर्द से तड़पते रहे और तीमारदार डॉक्टरों के आगे हाथ जोड़ते रहे, लेकिन हड़ताल पर अड़े डॉक्टरों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। यह healthcare crisis अब आम जनता के लिए मुसीबत बन चुका है, लेकिन डॉक्टर अपनी साख बचाने की लड़ाई में मरीजों के दर्द को भूल बैठे हैं।

सीएम सुक्खू ने की भावुक अपील, फिर भी नहीं पसीजा डॉक्टरों का दिल

प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू  (Chief Minister Sukhwinder Singh Sukhu) ने खुद आगे आकर डॉक्टरों से मानवीय आधार पर हड़ताल खत्म करने की अपील की। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे सीनियर डॉक्टरों से बात करेंगे और फैसले का review decision करेंगे, लेकिन डॉक्टरों ने सीएम की अपील को भी अनसुना कर दिया। रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ-साथ हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन भी इस गलत मांग के साथ खड़ी नजर आ रही है, जो एक गंभीर ethical concern का विषय है। क्या एक मारपीट के आरोपी का साथ देना मरीजों की सेवा और जीवन रक्षा की शपथ से बड़ा हो गया है?

सरकार ने जारी की सख्त SOP, काम में बाधा डालने पर होगी कार्रवाई

डॉक्टरों के इस गैर-जिम्मेदाराना रवैये को देखते हुए अब सरकार ने भी सख्त रुख अपनाया है। अस्पतालों में emergency health services ठप न हों, इसके लिए सरकार ने मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी कर दी है। सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल और एमएस की छुट्टियों पर रोक लगा दी गई है। सरकार ने साफ चेतावनी दी है कि अगर किसी ने जरूरी सेवाओं में बाधा डालने की कोशिश की, तो उसके खिलाफ सख्त disciplinary action लिया जाएगा। कंसल्टेंट डॉक्टरों को अनिवार्य रूप से ओपीडी में बैठने के निर्देश दिए गए हैं ताकि हड़ताल के कारण तड़प रहे मरीजों को थोड़ी राहत मिल सके।