हिमाचल की आपदा सरकारों की गलत नीतियों का परिणाम, विधानसभा में गरजे BJP विधायक डॉ. जनक राज

डॉ. जनक राज ने आपदा से निपटने के लिए सरकार की तैयारियों पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार की हालत ऐसी है जैसे वह बादलों से कह रही हो, 'आ जाओ, हम तैयार हैं, बस हमारे छाते में जो छेद है उसे ठीक कराने के लिए केंद्र से मदद मांग रहे हैं'। उन्होंने कहा कि मॉनसून कोई अचानक आने वाला मेहमान नहीं है, इसकी भविष्यवाणी 4-5 महीने पहले ही हो जाती है, लेकिन सरकार ने 2023 की आपदा से भी कोई सबक नहीं सीखा। उन्होंने आपदा प्रबंधन के नाम पर होने वाली बैठकों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने सवाल किया, "क्या ये बैठकें सिर्फ चाय, बिस्किट, पकोड़े खाने और फोटो खिंचवाने के लिए होती हैं? इन बैठकों का नतीजा क्या निकलता है? बस यही कि चलो, इस साल जो हुआ सो हुआ, अगले साल देखेंगे।" उन्होंने राजस्व मंत्री से जवाब मांगते हुए कहा कि 2023 की आपदा के बाद समन्वय बनाने के जो वादे किए गए थे, उन पर 2025 तक क्या कार्रवाई हुई, यह तथ्यों के साथ सदन को बताएं।
विधायक ने अपने विधानसभा क्षेत्र की पीड़ा को भी सदन में रखा। उन्होंने बताया कि ब्रेही पंचायत के तूर गांव का एक व्यक्ति दिलीप सिंह उन्हें तीन दिनों से फोन कर रहा है कि उसके घर के ऊपर भूस्खलन (Landslide) हो रहा है और उसका परिवार खतरे में है। उन्होंने 21 जुलाई को चड़ी पंचायत में हुए हादसे का जिक्र किया, जहां एक नवविवाहित जोड़े की मलबे में दबकर मौत हो गई थी।
उन्होंने कहा कि बलोट पंचायत के उसलाड़-सेरी गांव में पिछले दो सालों से भूस्खलन हो रहा है, जिससे 1500 की आबादी मुख्य मार्ग से कट गई है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, बीमारों को अस्पताल ले जाना मुश्किल है, लेकिन बार-बार आग्रह करने के बावजूद प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली है। उन्होंने कहा, "21 जुलाई की घटना को लगभग एक महीना हो गया है, लेकिन एसडीएम साहब के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है। डॉ. जनक राज ने मांग की कि मणिमहेश यात्रा मार्ग और अन्य भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में हर 10-15 किलोमीटर पर स्थायी शेल्टर होम बनाए जाएं ताकि आपदा के समय लोग वहां शरण ले सकें।