सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: मिड-डे मील वर्कर्स को लेकर आई बड़ी खबर! सुप्रीम कोर्ट ने लगाई हाई कोर्ट के फैसले पर मोहर! देखें क्या है पूरा मामला

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न्यूज हाइलाइट्स

सारांश:

​Big news Himachal mid-day meal workers शिमला: सुप्रीम कोर्ट ने मिड-डे मील कर्मचारियों (Supreme Court mid-day meal employees) की स्थिति को स्पष्ट करने वाले हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले पर सहमति दी है। हिमाचल हाईकोर्ट ने फैसला किया कि मध्यमकालीन कामगार सरकारी कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आते हैं। प्रेम सिंह की याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से साफ इंकार किया है। 12 नवंबर 2018 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ का निर्णय निरस्त करते हुए मिड-डे मील कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी नहीं बताया। अदालत ने कहा कि केंद्रीय या राज्य सरकार की किसी योजना में नियुक्त कर्मचारी सरकारी कर्मचारी की परिभाषा में नहीं आते हैं।

अंशकालिक जल वाहक की नियुक्ति को हाईकोर्ट की एकलपीठ में चुनौती दी गई थी। दलील थी कि चुने गए उम्मीवार की माता मध्य-दिवसीय कामगार है। इसलिए अंशकालिक जल वाहक पद के लिए उम्मीदवार को सरकारी कर्मचारी के परिवार से संबंध रखने पर पांच अंक नहीं मिल सकते थे। एकलपीठ ने नियुक्ति को रद्द करते हुए प्रतिवादी गौरव ठाकुर को सरकारी कर्मचारी घोषित किया। अंशकालिक जलवाहक पद को भरने के लिए जारी विज्ञापन में वह पांच अंक प्राप्त करने का हकदार नहीं है। गौरव ठाकुर ने इस निर्णय को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। खंडपीठ ने एकलपीठ के निर्णय को निरस्त करते हुए मिड डे मील वर्कर को सरकारी कर्मचारी नहीं माना था। इस निर्णय को प्रेम सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी।

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