भरमौर की सियासत में नया भूचाल! क्या ठाकुर सिंह भरमौरी का 'भटियात कार्ड' बिगाड़ेगा कांग्रेस-बीजेपी का खेल

क्यों नाराज हैं भरमौरी और क्या है उनकी रणनीति?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा ललित ठाकुर को APMC का चेयरमैन बनाकर भरमौर की राजनीति में आगे करने से ठाकुर सिंह भरमौरी खुद को दरकिनार महसूस कर रहे हैं। कभी भरमौर कांग्रेस में कई गुट हुआ करते थे, जो भरमौरी के इर्द-गिर्द घूमते थे। लेकिन ललित ठाकुर के आने के बाद उन्होंने नाराज कार्यकर्ताओं को एकजुट करना शुरू कर दिया। जिससे भरमौरी का खेमा कमजोर पड़ने लगा। कई पुराने साथी भी अब ललित ठाकुर के साथ दिख रहे हैं।
शायद इसी सियासी हाशिएपन का जवाब देने के लिए भरमौरी ने अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे अमित भरमौरी को सौंपने का मास्टरस्ट्रोक खेला है। अमित की युवाओं और जमीनी कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ मानी जाती है। कहा जाता है कि अगर पिछले चुनाव में ही भरमौरी ने अमित को आगे किया होता, तो शायद आज नतीजे कुछ और होते और बीजेपी को जीत का मौका नहीं मिलता। अब अपने बेटे को आगे कर और खुद भटियात से चुनाव लड़ने का संकेत देकर भरमौरी यह संदेश दे रहे हैं कि उन्हें कम आंकना एक बड़ी भूल होगी।
कांग्रेस और बीजेपी के लिए कैसे बने चुनौती?
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कांग्रेस के लिए: भरमौरी की नाराजगी और उनका अलग रास्ता अख्तियार करना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द है। ललित ठाकुर बेशक संगठन को मजबूत कर रहे हैं, लेकिन भरमौरी का अपना एक व्यक्तिगत वोट बैंक और दशकों का अनुभव है। अगर भरमौरी बागी तेवर अपनाते हैं, तो वह कांग्रेस के वोटों में बड़ी सेंध लगा सकते हैं, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा।
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बीजेपी के लिए: मौजूदा विधायक डॉ. जनक राज भले ही अपनी तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन उन्हें भी पता है कि मुकाबला आसान नहीं है। अगर कांग्रेस में फूट पड़ती है, तो भी भरमौरी एक निर्दलीय या किसी अन्य मंच से चुनाव लड़कर खेल बिगाड़ सकते हैं। उनका अनुभव और जनजातीय क्षेत्र की नब्ज पर उनकी पकड़, युवा नेताओं के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
ललित ठाकुर और डॉ. जनक राज की अपनी-अपनी तैयारी
इस सियासी खींचतान के बीच, कांग्रेस के ललित ठाकुर और बीजेपी के डॉ. जनक राज भी अपनी-अपनी जमीन मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ललित ठाकुर लगातार पांगी और भरमौर का दौरा कर रहे हैं। वह किसानों के बीच प्राकृतिक खेती और सरकार की योजनाओं का प्रचार कर रहे हैं और कांग्रेस के पुराने नाराज कार्यकर्ताओं को मनाकर अपने पाले में ला रहे हैं। वहीं, विधायक डॉ. जनक राज भी अपने 'मिशन 2027' में जुट गए हैं। वह भी पांगी घाटी का दौरा कर रहे हैं और हर दिन तीन से चार बूथों पर कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर अपनी चुनावी मशीनरी को मजबूत कर रहे हैं। कुल मिलाकर भरमौर-पांगी का सियासी मैदान एक त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय संघर्ष की ओर बढ़ता दिख रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है, लेकिन यह तय है कि ठाकुर सिंह भरमौरी का अगला कदम यहां की राजनीति की दिशा और दशा दोनों तय करेगा।