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Prajamandal : पांगी में प्रजामंडल के नाम पर मनमानी, जुर्माना जमा नहीं करवाया तो होगा निष्कासित

An image of featured content फोटो: PGDP

Prajamandal :  पांगी:  हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले की पांगी घाटी एक ऐसा क्षेत्र है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां की अनोखी परंपराओं में प्रजामंडल एक विशेष स्थान रखता है। यह संगठन सामाजिक एकता बनाए रखने, त्योहारों और सामुदायिक आयोजनों में समन्वय स्थापित करने के लिए प्राचीन काल में बनाया गया था। आज भी यह परंपरा कायम है, लेकिन बदलते समय के साथ इसमें कई संशोधन और नई चुनौतियां सामने आई हैं। प्रजामंडल का प्राथमिक उद्देश्य ग्रामीणों के बीच आपसी सहयोग और सामुदायिक गतिविधियों में समान भागीदारी सुनिश्चित करना था। लेकिन वर्तमान समय में इसके कुछ कठोर नियम और आर्थिक जुर्माने गरीब और मजदूर वर्ग के लिए चुनौती बन गए हैं। इस लेख में, हम प्रजामंडल के ऐतिहासिक महत्व, वर्तमान स्वरूप, नियमों, विवादों के बारे में जानकारी देने जा रहे है। 

प्राचीन समय में प्रजामंडल का उद्देश्य ग्रामीणों के बीच एकजुटता बनाए रखना था। यह संगठन गांववासियों को सामाजिक नियमों का पालन करने और सामूहिक रूप से त्योहारों व अन्य अवसरों को मनाने के लिए प्रेरित करता था। पहले प्रजामंडल को दंड लगाने का अधिकार नहीं था, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव आया। अब यह संगठन दंड लगाने सहित कई कठोर नियम लागू करता है, जो कभी-कभी गरीब और मजदूर वर्ग के लिए मुश्किलें खड़ी कर देता है।

मिंधल प्रजामंडल का हालिया घटनाक्रम

शनिवार को मिंधल पंचायत में प्रजामंडल की बैठक आयोजित की गई, जिसमें कुछ नए नियमों की घोषणा की गई। प्रजामंडल के उपाध्यक्ष देवराज की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कुछ नियम गांव के हित में बनाए गए, तो कुछ अत्यधिक कठोर और विवादास्पद थे। मिंधल में 63 परिवारों के बीच बना यह प्रजामंडल जहां एक ओर गांव की भलाई के लिए अच्छे नियम भी बनाये हुए है। वहीं गरीब व मजदूर लोगों से भारी भरकम जुर्माना वसूलने के लिए अनोखे नियम भी बनाये गए है। जिसका सीधा असर आने वाली पीढ़ी पर पड़ रहा है। मिंधल प्रज्जामंडल में बनाये गए कानून तो सरकार के कानूनों से भी ऊपर है। 

बनाए गए प्रमुख नियम:
  1. शादी और धार्मिक आयोजनों में प्रतिबंध:

    • अगर कोई व्यक्ति  शादी समारोह, मुंडन व जुकारू उत्सव के दौरान बीयर या सिगरेट जैसे मादक पदार्थ लाता है, तो उस पर ₹20,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।
    • जुर्माने की राशि एक महीने के भीतर प्रजामंडल के पास जमा करनी होगी।
    • जुर्माना जमा न करने पर संबंधित व्यक्ति को प्रजामंडल से निष्कासित कर दिया जाएगा।
  2. पशु-पालन पर नियंत्रण:
    • यदि किसी ग्रामीण के भेड़-बकरी या अन्य पशु दूसरे के खेत में घुसते हैं, तो उसे ₹500 से ₹1,000 तक का जुर्माना देना होगा।
    • इस नियम को लागू करने के लिए प्रजामंडल ने एक सदस्य को नियुक्त किया है।

ग्रामीणों का कहना है कि कुछ नियम सकारात्मक हैं, जैसे गांव में अनुशासन बनाए रखना और नशे को रोकना। लेकिन अन्य कठोर नियम, विशेष रूप से जुर्माने की ऊंची राशि, गरीब और मजदूर वर्ग के लिए आर्थिक बोझ बन गए हैं। ऐसे नियमों से सामाजिक तनाव और असमानता बढ़ने की संभावना है।  पांगी घाटी के बुजुर्ग लोगों की माने तो प्रजामंडल गांव में एकता, जीने-मरने व त्योहारों में एकजुट रहने का प्रतीक है। पुराने समय में प्रजामंडल को जुर्माना लगाने का अधिकार नहीं था। राजाओं के काल में जैसे किसी नगरवासी को नगर से बेदखल किया जाता था। वैसे ही प्रजामंडल में यदि कोई गांव का सदस्य प्रजामंडल के नियमों को नहीं मिलता है तो उसे प्रजामंडल से बेदखल किया जाता है। लेकिन जैसे-जैसे समय बदलता गया तो प्रजामंडल के नियमों को भी बदलाव हुआ है।

पांगी घाटी में प्रजामंडल का ऐतिहासिक महत्व

पांगी घाटी के बुजुर्ग बताते हैं कि प्रजामंडल का गठन गांववासियों के बीच आपसी सहयोग और भाईचारे को मजबूत करने के लिए किया गया था। पुराने समय में, इस संगठन के नियम सरल और समुदाय-हितैषी होते थे। किसी व्यक्ति को प्रजामंडल के नियमों का उल्लंघन करने पर केवल निष्कासित किया जाता था। हालांकि, वर्तमान में प्रजामंडल ने नियमों में बदलाव करते हुए जुर्माने और कठोर दंड का प्रावधान कर दिया है। इसके कारण इसकी भूमिका केवल सामूहिक एकता तक सीमित न रहकर, एक अनुशासनात्मक संस्था के रूप में उभरने लगी है।  पांगी घाटी के इस अनोखे सामाजिक ढांचे को बनाए रखना एक चुनौती बनता जा रहा है। एक तरफ जहां इसके कुछ नियम सामुदायिक एकता और अनुशासन को बढ़ावा देते हैं, वहीं दूसरी ओर कठोर और आर्थिक रूप से बोझिल प्रावधान ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। 

तहसीलदार पांगी शांता कुमार ने बताया कि प्रजामंडल एक  बिना पंजीकरण का संगठन है और इसका सरकार के साथ कोई सीधा संबंध नहीं है। यह ग्रामीणों द्वारा उनके सामाजिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाया गया संगठन है। सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करती, लेकिन किसी भी तरह की शिकायत होने पर जांच की जा सकती है।

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