चंबा। Chamba News: एचआरटीसी के चंबा डिपो (HRTC Chamba Depot) में लाखों के गबन में प्रबंधन द्वारा बर्खास्त सीनियर आॅडिटर सुरेंद्र कुमार की याचिका हाईकोर्ट ने भी कर दी रद्द है। कोर्ट के इस फैसले का परिवहन कर्मचारियों ने स्वागत किया है। तथा कोर्ट के फैसले की सराहना की है। पूर्व परिवहन कर्मचारी नेता एवं एचआरटीसी सेवानिवृत कर्मचारी संघ के प्रदेश प्रवक्ता शंकर सिंह और पूर्व कर्मचारी नेता श्रवण कुमार ने बताया कि अदालत के इस ऐतिहासिक फैसले की गूंज अनंत काल तक सुनी जाती रहेगी।
2020 में इस अद्भुत कारनामे को मीडिया में उजागर किया
उन्होंने कहा कि 2020 में जब कर्मचारियों ने मिलकर भ्रष्टाचार के इस अद्भुत कारनामे को मीडिया में उजागर किया और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर तथ्यों और सबूतों के साथ इसकी शिकायत की तो चंबा में इस भ्रष्ट गिरोह के लोग स्थानीय पत्रकारों और परिवहन कर्मचारियों को डराते धमकाते भी देखे गए। कहा कि सुनियोजित तरीके से इस फजीर्वाड़े को कार्य रूप देने के लिए चंबा के इस भ्रष्ट गिरोह की मिलीभगत से एक परिचालक को कैशियर की सीट पर बिठा दिया। जो जांच के दौरान ही लापता हो गया था। तीन महीने के बाद उसका शव चमेरा डैम से मिला।जांच के दौरान बर्खास्त किए गए सीनियर आॅडिटर ने तीन लाख भी जमा कराए थे और बाकी बचे 30 लाख से ज्यादा किस्तों में भरने की लिखित पेशकश प्रबंधन से की थी।
क्षेत्रीय प्रबंधक और सेक्शन अफसर समेत पांच कर्मचारी निलंबित
उल्लेखनीय है कि इस फजीर्वाड़े में चंबा के क्षेत्रीय प्रबंधक और सेक्शन अफसर समेत पांच कर्मचारी निलंबित किए गए थे। इसके घटनाक्रम के बाद परिवहन कर्मचारी संगठनों द्वारा पूरे प्रदेश में इस प्रकार की जांच करवाने की मांग की थी। इसके बाद प्रबंधन द्वारा देहरा और पालमपुर डिपो में भी ऐसी जांच करवाई गई। और इन डिपो में भी इसी प्रकार के फजीर्वाड़े उजागर हुए। जिस कारण देहरा और पालमपुर में भी अनेक अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित किया गया ।
जयराम सरकार ने पूरे प्रदेश में इस जांच को ही बंद करवा दिया था
उसके बाद जयराम सरकार ने पूरे प्रदेश में इस जांच को ही बंद करवा दिया था। कहा कि चंबा में लाखों का गबन करने वाले उक्त गिरोह ने कार्यरत सैकड़ों कर्मचारियों के खून पसीने की कमाई पर तो हाथ साफ किया ही पर चंबा से ट्रांसफर और रिटायर हुए अनेक कर्मचारियों को मिलने वाले एरियर से भी छेड़छाड़ कर उस पैसे को भी अपने सैलरी अकाउंट में जमा करा दिया। कहा कि भ्रष्टाचार के इस गंभीर मामले में प्रबंधन और सरकार को किसी भी प्रकार की रियायत नहीं बरतनी चाहिए। जब जयराम सरकार में एचआरटीसी को पतन के गर्त की ओर धकेलने और इसकी अर्थव्यवस्था को तार-तार करने वाले वही लोग निकले जिनके कंधों पर इसे संवारने और समृद्ध बनाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी प्रदेश की जनता ने डाली थी। यहीं से जयराम सरकार के पतन की दिलचस्प कहानी शुरू हुई थी।