Himachal News: शिमला। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुक्खू सरकार को हाई कोर्ट से झटका लगा है। भाजपा विधायक सतपाल सत्ती ने मुख्य संसदीय सचिव (Chief Parliamentary Secretary) (सीपीएस) की नियुक्तियों को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में उनके अधिवक्ता वीरभादुर वर्मा ने बताया कि वर्तमान सरकार ने इस याचिका को बढ़ाने की योग्यता और maintainability पर सवाल खड़ा करते हुए इसे खारिज करने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन कोर्ट ने सरकार के आवेदन को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि सीपीएस की नियुक्तियों को लेकर पिछली बार 3 अक्टूबर को कोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसमें लंबी बहस हुई थी, जिसका मंगलवार को फैसला आया है। इस फैसले से साफ हो गया कि याचिका मेंटेनेबल है, यानी आगे बढ़ाने योग्य है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक सतपाल सत्ती ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) में सीपीएस नियुक्ति को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है. इसमें अतिरिक्त महाधिवक्ता पंजाब हरियाणा सतपाल जैन, वरिष्ठ अधिवक्ता अंकुश दास, वरिष्ठ अधिवक्ता वीरभादुर वर्मा, अंकित धीमान, मुकुल शर्मा और राकेश शर्मा शामिल हैं। याचिका सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आधारित है। फैसले के बारे में मीडिया से बातचीत करते हुए अधिवक्ता वीरभादुर वर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में सरकार द्वारा मेंटेनेबिलिटी को लेकर दाखिला दिया गया था। हमारे पक्ष में निर्णय लिया गया है और सरकार का अनुरोध खारिज कर दिया गया है।
हम जानते हैं कि सतपाल सत्ती सहित ग्यारह विधायकों ने सीपीएस नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। यह मामला पहली बार 3 अक्टूबर को कोर्ट में पेश हुआ था, जिसमें एक लंबी बहस हुई, लेकिन आज फैसला आया है। इस फैसले से स्पष्ट होता है कि याचिका मेंटेनेबल है, यानी आगे बढ़ाने योग्य है। उन्हें बताया गया कि 16 अक्टूबर को फिर से हाईकोर्ट में याचिका की सुनवाई होगी। हमने अंतरिम निवेदन पर सुनवाई की मांग की है। अंतरिम निवेदन में क्या होगा? अगर हाईकोर्ट मानता है कि सीपीएस की नियुक्ति पर रोक लगानी चाहिए, तो यह एक महत्वपूर्ण निर्णय होगा। हमने पहले भी स्पष्ट किया है कि यह सरकारी खजाने का मामला है और इस मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पहले भी फैसला दिया है। सर्वोच्च न्यायालय की अधिनियम लागू है। इससे बड़ा कोई न्यायालय नहीं है।
असम और मणिपुर में भी ऐसे ही मामले को लेकर पूर्व में फैसला सुनाया जा चुका है। फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने सीपीएस को नियुक्ति को अवैध और असंवैधानिक माना है। इसको आधार बनाते हुए हमने विधायक सतपाल सत्ती और अन्य विधायकों के माध्यम से सीपीएस की नियुक्तियों को चैलेंज किया है। हमने आज पहली बाधा पार कर ली है। उन्होंने कहा कि 16 अक्टूबर को कोर्ट याचिका पर फैसला भी सुना सकता और इसे रिजर्व भी रख सकता है।