IAS Success Story : पिता को हुआ कैंसर, फिर भी हालात के आगे नहीं हारी हिम्मत, IAS बनकर नाम किया रोशन
रितिका जिंदल ने विपरीत परिस्थितियों में UPSC परीक्षा में 88वीं रैंक हासिल की. उनके पिता को कैंसर था लेकिन उन्होंने अपना फर्ज अदा किया
Success Story of IAS Ritika Jindal : श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला लिया, जहां से उन्होंने तीसरी रैंक के साथ स्नातक किया। वह आईएएस अधिकारी (ias officer) बनना चाहती थीं।यह कहानी है पंजाब की रितिका जिंदल की।रितिका शुरू से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थी।
Success Story of IAS Ritika Jindal : मेरे पिताजी को कैंसर था, उनसे बहुत लगाव था। पिताजी हमेशा मेरे दिमाग (mind) में रहते थे।जीवन में बहुत सारी कठिनाइयाँ थीं। आस-पास कोई अस्पताल नहीं था और जब भी उनके पिता की तबीयत खराब होती थी, तो उन्हें अस्पताल पहुँचने के लिए कई किलोमीटर (kilometre) का सफ़र तय करना पड़ता था।लेकिन मेरा दृढ़ विश्वास (believe) था कि कुछ करना होगा और मेरे पिता का सपना पूरा करना होगा।यह कहानी है रितिका जिंदल की, जिन्होंने बहुत कम उम्र में यूपीएससी परीक्षा में शानदार रैंक हासिल कर परिवार का नाम रोशन किया। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद रितिका ने दिल्ली (delhi) के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला लिया, जहां से उन्होंने तीसरी रैंक के साथ स्नातक किया। वह आईएएस अधिकारी (ias officer) बनना चाहती थीं।
यह कहानी है पंजाब की रितिका जिंदल की। रितिका शुरू से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थी।उसने 12वीं कक्षा में बहुत अच्छे अंक प्राप्त किये थे, उसने उत्तरी भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।बचपन (childhood ) से ही कुछ बड़ा करने का सपना था, इसलिए ग्रेजुएशन के साथ ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपना पहला प्रयास (frist attempt) दिया।जिसमें रितिका ने प्रारंभिक परीक्षा तो पास कर ली लेकिन अंतिम चरण में कुछ अंकों से पीछे रह गई।लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और तैयारी जारी रखी और एक बार फिर पेपर देने का मन बनाया।रितिका ने अगला प्रयास किया जिसमें उन्हें 88वीं रैंक मिली। उनकी उम्र मात्र 22 वर्ष थी।हालाँकि, आईएएस अधिकारी बनने का उनका सफर आसान नहीं था।
बेटी ने अपना कर्तव्य निभाया : Success Story of IAS Ritika Jindal
रितिका जिंदल जब यूपीएससी परीक्षा ( upsc) की तैयारी कर रही थीं, तब उन्हें पता चला कि उनके पिता को कैंसर है।पूरा परिवार घबरा गया।जो बेटी अपने पिता से बहुत प्यार करती थी, उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।इससे पहले उनके पिता को मुंह का कैंसर हुआ था, जिससे वे जल्द ही ठीक हो गए थे।ऐसे में रितिका के लिए परीक्षा की तैयारी करना आसान नहीं था। एक इंटरव्यू (interview ) में रितिका ने बताया था कि उनका घर एक छोटे से शहर में है।जहां संसाधनों और बुनियादी ढांचे की कमी थी।परिणामस्वरूप, उनके पिता को इलाज के लिए लुधियाना ले जाना पड़ा।
मुझे अपने माता-पिता का सपना पूरा करना था। Success Story of IAS Ritika Jindal
रितिका जिंदल का कहना है कि जब वह प्रशिक्षण (training) ले रही थीं तब उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई।उनके पिता की कैंसर से मृत्यु हो गई, और उनके पिता की मृत्यु के दो महीने के भीतर उनकी माँ की भी कैंसर से मृत्यु हो गई।लेकिन रितिका के मन में, उसके माता-पिता का सपना (dream ) था कि उनकी बेटी समाज की मदद करे।
पांगी में RC के पद पर है तैनात
मौजूदा समय में IAS रितिका जिंदल आवासीय आयुक्त के पद पर पांगी किलाड़ में तैनात है। वह पिछल दो सालों से हिमाचल प्रदेश के सबसे दुर्गम क्षेत्र पांगी घाटी में सेवाएं दे रही है। यह घाटी साल में केवल छम माह से जिला मुख्यालय से जुड़ी रहती है। बाकि के छह माह के भीतर भारी बर्फबारी के कारण सड़क मार्ग बंद रहते है।