General Knowledge Quiz || सनातन धर्म में क्यों कराया जाता है नवजात बच्चों का मुंडन?
न्यूज हाइलाइट्स
General Knowledge Quiz || सनातन धर्म में इंसानों ने पूर्ण जीवनकाल के लिए 16 संस्कारों का विवरण किया गया है. इसमें से एक संस्कार है मुंडन परंपरा, जिसमें बच्चे के जन्म के बाद एक साल के भीतर सर का मुंडन करवाया जाता है. आपने सोचा है कि आखिर Mundan Sanskar क्यों कराया जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की असल वजह
- मुंडाने की परंपरा बहुत पुरानी है और यह परंपरा धार्मिक व पवित्र स्थलों पर किया जाता है.
- जन्म लेने के बाद माता के गर्भ से जन्म लेने के बाद बच्चे के सिर के जितने भी बाल होते है,उन्हें जड़ से काटकर, हटाने को ही Mundan Sanskar कहा जाता है
- Mundan Sanskar का पालन करने के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं व वैज्ञानिक तर्क हैं
- नवजात बच्चे के बल, आरोग्यता को बढ़ाने और गर्भवस्था के दौरान प्राप्त अशुद्धियों को दूर करने के लिए Mundan Sanskar करवाया जाता है.
- ये है वजह ऐसी भी मान्यता है कि मुंडन करवाने से नवजात बच्चे की बुद्धि व बल में वृद्धि होती है साथ ही उसका शारीरिक विकास होता है.
- हो जाता है क्षय इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि बच्चे के बालों को विसर्जित करने से उसके पूर्ण जन्म का भी क्षय होता है.
1. पूर्व जन्म के पाप से मुक्ति
ऐसा माना जाता है की Mundan Sanskar से बच्चे को पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है. Mundan Sanskar से बच्चे का बौद्धिक विकास होता है और बच्चा समाज का पवित्र हिस्सा बन जाता है. हिन्दू धर्म में बच्चे के मुंडन के लिए 1, 3, 5 या 7 साल की आयु को अतिशुभ माना जाता है.
2. शुभ मुहूर्त में होता है Mundan Sanskar
हिन्दू पुराणों के अनुसार सभी शुभ काम करने के लिए मुहूर्त निकला जाता है. वैसे ही Mundan Sanskar के लिए भी शुभ मुहूर्त निकाला जाता है. आम तौर पर लोग बच्चे के जन्म और समय के आधार पर पंडितों से शुभ मुहूर्त निकलवाते हैं और किसी धार्मिक तीर्थ स्थल पर मुंडन करवाया जाता है.
3. पंडित करवाते हैं पहले पूजन
Mundan Sanskar से पहले पंडित हवन पूजन करते हैं. फिर मां बच्चे को अपनी गोद में लेकर उसका मुंह पश्चिम दिशा में अग्नि की तरफ रखती है, इसके बाद नाई उस्तरे की मदद से बच्चे का मुंडन करते है. इसके बाद, गंगाजल से बच्चे का सिर धोया जाता है.