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Agniveer Scheme : बैंकों में भी‘अग्निवीर’ भर्ती योजना, अस्थायी कर्मियों को मिलेंगे 5000 रुपये

An image of featured content फोटो: PGDP

Agniveer Scheme : सार्वजनिक बैंकों में भी अब अस्थायी भर्तियों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सेना के ‘अग्निवीर’ मॉडल की तर्ज पर, बैंकों में भी युवाओं को अस्थायी रूप से नियुक्त किया जा रहा है। इस नई अप्रेंटिसशिप योजना के तहत युवाओं को 5,000 से 15,000 रुपये तक का मानदेय मिलेगा। यह कदम बैंकों में घटती वर्कफोर्स की समस्या को हल करने के लिए उठाया गया है।सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक जैसे प्रमुख सार्वजनिक बैंकों ने इस योजना के तहत अस्थायी भर्तियां शुरू कर दी हैं।

किन बैंकों में हो रही हैं भर्तियां?

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक ने इस योजना के तहत भर्तियां शुरू कर दी हैं। इस योजना को अप्रेंटिसशिप योजना का नाम दिया गया है। उदाहरण के लिए, कैनरा बैंक ने 3,000 पदों के लिए वैकेंसी निकाली है, जिसमें उत्तर प्रदेश के लिए 325 पद शामिल हैं। वहीं, यूनियन बैंक ने 500 पदों और इंडियन ओवरसीज बैंक ने 78 पदों पर आवेदन मांगे हैं।

कौन से युवा हो सकते हैं पात्र?

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पहली बार 21 से 25 वर्ष की आयु के युवा ट्रेनी कर्मचारियों को बड़ी संख्या में शामिल किया जा रहा है। इनकी नियुक्ति एक साल के अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम के तहत की जाएगी, जो बैंकों की वर्कफोर्स को बढ़ाने में मदद करेगा। इस योजना का उद्देश्य बैंकों में घटते कर्मचारियों की संख्या को पूरा करना है।

सरकारी बैंकों में घटते कर्मचारी

वित्तीय वर्ष 2014 में सरकारी बैंकों में 8,42,813 कर्मचारी कार्यरत थे, लेकिन 2024 तक यह संख्या घटकर 7,64,679 रह गई है। इसके विपरीत, निजी बैंकों में कर्मचारियों की संख्या 2014 में 3,03,856 थी, जो अब बढ़कर 7,96,809 हो गई है। इससे स्पष्ट है कि निजी बैंकों में कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जबकि सरकारी बैंकों में यह संख्या घट रही है।

नियमित बहाली की मांग

ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के पूर्व संयुक्त सचिव डीएन त्रिवेदी ने इस योजना पर अपनी राय रखते हुए कहा कि बैंकिंग उद्योग में स्थायी कर्मचारियों की बहाली होनी चाहिए, ताकि वे सेवा शर्तों की जिम्मेदारी के साथ काम कर सकें। उनके अनुसार, अप्रेंटिसशिप योजना नियमित भर्तियों का विकल्प नहीं हो सकती है और इसे स्थायी बहाली के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इस योजना से निश्चित रूप से बैंकों में वर्कफोर्स बढ़ेगी, लेकिन स्थायी समाधान की जरूरत अब भी बाकी है।

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