Jukaru Festival Pangi Valley: पांगी: जनजातीय क्षेत्र पांगी में जुकारू उत्सव का आगाज हो चुका है। इस बार पांगी घाटी में जुकारू उत्सव को लेकर अलग-अलग तारीखें तय की गई है। ऐसे में जहां छह पंचायतों में जुकारू उत्सव एक माह पहले ही मना चुके है। वहीं अब अन्य पंचायतों में आज से शुरू हो गया है। पांगी घाटी के किलाड़, धरवास, करयूनी, मिंधल, फिंडरू, कुमार व साच पंचायत में आज से जुकारू उत्सव का आगाज हो गया है। पांगी में आज सिल्ल उत्सव मनाया जा रहा है।
पांगी घाटी (Pangi Valley) में अमावस्या (New Moon Night) की रात जुकारु उत्सव (Jukaru Festival) बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसे स्थानीय भाषा में सिल्ल (Sill) के नाम से जाना जाता है। वहीं, अमावस्या के अगले दिन पड़ीद (Padid Festival) मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से राजा बलि (King Bali) और पितरों (Ancestors) को समर्पित रहता है। मान्यता है कि इस दिन राजा बलि से प्रार्थना की जाती है कि वे सभी नकारात्मक शक्तियों (Negative Forces) को अपने साथ ले जाएं और धरती पर शांति (Peace) बनी रहे।
जुकारु उत्सव की विशेष परंपराएं
इस दिन घर का मुखिया (Head of the Family) सुबह जल्दी उठकर स्नान (Bathing) करने के बाद राजा बलि (King Bali) के समक्ष माथा टेकता है। इसके बाद वह प्रार्थना करता है कि सभी बुरी आत्माएं (Evil Spirits) इस धरती से दूर चली जाएं। फिर, सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों की पूजा (Ancestor Worship) की जाती है।
इसके बाद मुखिया मवेशियों (Cattle) के साथ एक खास रस्म निभाता है, जिसे जुकारु कहा जाता है। इस दौरान पकवान (Traditional Food) बनाए जाते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का संचार किया जाता है। घर में प्रवेश करने से पहले मुखिया शुभ वचन (Auspicious Words) बोलता है और घर की मालकिन (Lady of the House) इसका जवाब शगुन (Blessings) के रूप में देती है। परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे के पैर छूकर (Touching Feet) आशीर्वाद लेते हैं और फिर मिलकर भोजन करते हैं।
कल होगा पड़ीद पर्व
पड़ीद (Padid) पर्व के दिन, घर के सभी सदस्य बुजुर्गों से आशीर्वाद लेने उनके घर जाते हैं। इस दौरान वे भुजपत्र (Bhojpatra Leaves) और अन्य पारंपरिक व्यंजन (Traditional Dishes) भेंट करते हैं। बुजुर्गों के चरण स्पर्श (Touching Feet) कर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है और फिर जेबरा के फूल (Jebra Flowers) अर्पित किए जाते हैं। यह माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव (Sun God) और पितर देवता (Ancestral Gods) की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। लोग श्रद्धा (Faith) के साथ इस दिन अपने पूर्वजों को भोग लगाते हैं, जिससे पितर प्रसन्न होकर परिवार की रक्षा (Protection) करते हैं।
क्या है जेबरा और इसकी मान्यता?
जेबरा (Jebra) गेहूं (Wheat) से तैयार किया जाता है। माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) के तीसरे दिन मिट्टी से भरे बर्तन में भेड़-बकरी (Sheep-Goat) के गोबर को मिलाकर उसमें गेहूं के बीज बोए जाते हैं। लगभग 10-12 दिनों में इन बीजों से छोटी-छोटी हरी कलियां (Green Sprouts) निकलती हैं, जिन्हें फूलों (Flowers) के रूप में उपयोग किया जाता है।