Chamba Pangi News || अब पांगी 6 महीने नहीं, सिर्फ 2 महीने कटेगा संपर्क, चहैंणी पास सड़क को सीएम सुक्खू की हरी झंडी

शिमला में आयोजित ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी की बैठक में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पांगी वासियों की वर्षों पुरानी मांग को मानते हुए चहैंणी पास सड़क निर्माण की फिजिबिलिटी चेक करने के आदेश दे दिए हैं। इस वैकल्पिक मार्ग के बनने से सर्दियों में घाटी का संपर्क देश-दुनिया से ज्यादा समय तक बना रहेगा।

Chamba Pangi News ||  पांगी:  हिमाचल प्रदेश के सबसे दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों में शुमार पांगी घाटी के लोगों के लिए राजधानी शिमला से राहत भरी खबर निकलकर सामने आई है। 12 दिसंबर को शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी की बैठक में एक अहम फैसला लिया गया है। इस फैसले के तहत अब पांगी घाटी साल के छह महीने नहीं, बल्कि महज दो महीने ही जिला मुख्यालय से कटी रहेगी। सरकार ने चहैंणी पास सड़क निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए इसे हरी झंडी दे दी है।

शिमला में टीएसी की बैठक में सीएम सुक्खू ने चहैंणी पास सड़क को दी मंजूरी।

यह मामला जनजातीय सलाहकार सदस्य चुनी लाल शर्मा ने बड़ी प्रमुखता से मुख्यमंत्री के समक्ष रखा था। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव की गंभीरता को समझा और लोक निर्माण विभाग को तत्काल प्रभाव से चहैंणी पास सड़क निर्माण के लिए फिजिबिलिटी चेक करने के आदेश जारी कर दिए हैं। विभाग को मार्च महीने तक इसकी फिजिबिलिटी चेक करके टेंडर प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।  पांगी घाटी की भौगोलिक परिस्थितियां बेहद कठिन हैं। वर्तमान में घाटी को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग सचे-जोत है, जो समुद्र तल से लगभग 4400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इतनी अधिक ऊंचाई होने के कारण यहां भारी बर्फबारी होती है और रास्ता बहाल करने में विभाग को पसीने छूट जाते हैं।

लेकिन अब जिस चेहौंणी पास सड़क के निर्माण की बात हो रही है, वह भौगोलिक रूप से सचे जाेत से काफी बेहतर स्थिति में है। चहैंणी पास की ऊंचाई करीब 3400 मीटर है, जो सचे-जोत से 1000 मीटर कम है। ऊंचाई कम होने का सीधा मतलब है कि यहां बर्फबारी का असर मुख्य दर्रे के मुकाबले कम होगा और सड़क को बहाल रखना आसान होगा। इसके लिए विशेषज्ञों की एक टीम चहैंणी पास और सचे जोत का तुलनात्मक अध्ययन करेगी। फिजिबिलिटी चेक के दौरान एक्सपर्ट्स यह देखेंगे कि चहौणी पास सड़क निर्माण में कितने ​ग्लिेशेयर रास्ते में आएंगे और भौगोलिक चुनौतियां क्या होंगी। अगर दूरी की बात करें, तो अभी किलाड़ से बैरागढ़ तक साच पास के रास्ते दूरी करीब 72 किलोमीटर पड़ती है। वहीं, अगर चहैंणी पास से सड़क का निर्माण होता है, तो देवीकोठी से मिंधल माता तक का यह सफर सिमटकर महज 25 किलोमीटर रह जाएगा।

जनजातीय सलाहकार सदस्य चुनी लाल शर्मा ने बताया कि वे इस महत्वपूर्ण प्रश्न को पिछले दो सालों से लगातार मुख्यमंत्री की ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी के पटल पर रखते आ रहे थे। पिछली सरकारों या बैठकों में इस पर उतनी गंभीरता नहीं दिखाई गई, लेकिन इस बार प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने न केवल इसे गहनता से सुना, बल्कि तुरंत विभाग को एक्शन लेने के आदेश भी दे दिए। उन्होंने बताया कि इस सड़क के बनने से पांगी घाटी दिसंबर माह तक जिला मुख्यालय चंबा से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ी रहेगी। यह पांगी के लोगों के लिए किसी सपने के सच होने जैसा है। सर्दियों के मौसम में सचे जोत पर कई फीट बर्फ जम जाती है, जिसे हटाने में लोक निर्माण विभाग को हर साल करीब तीन महीने का लंबा वक्त लग जाता है। मई-जून तक ही जाकर रास्ता खुल पाता है। लेकिन चहैंणी पास की कम ऊंचाई के कारण वहां से बर्फ हटाने और सड़क को बहाल करने में महज एक माह का समय लगेगा।