UPI Circle: भीम ऐप ने एक नया फीचर लॉन्च किया है जिससे परिवार के सदस्य आपके यूपीआई अकाउंट से पेमेंट कर सकेंगे। लेकिन उसका पूरा कंट्रोल आपके पास ही रहेगा। खास बात यह है कि आप ट्रांजैक्शन की लिमिट तय कर सकते हैं और हर पेमेंट की जानकारी आपको मिलती रहेगी। यह फीचर यूपीआई पेमेंट को और आसान बनाता है। खासकर उन लोगों के लिए जो तकनीक के बारे में कम जानते हैं। इससे सुरक्षा और सुविधा दोनों बनी रहेगी। भीम ऐप के इस फीचर का नाम है यूपीआई सर्कल फुल डेलिगेशन। यूपीआई सर्कल फुल डेलिगेशन के तहत कोई भी प्राइमरी यूजर अपने भरोसेमंद कॉन्टैक्ट्स या फिर परिवार के सदस्यों जैसे मम्मी-पापा, दादा-दादी, बच्चे और स्टाफ के सदस्यों को अपनी ओर से 15 हजार रुपये तक के यूपीआई भुगतान करने की अनुमति दे सकेगा।
यह सुविधा खासतौर पर उन वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं के लिए गेम चेंजर मानी जा रही है जिन्हें डिजिटल पेमेंट में दिक्कत होती है या जिनकी खर्च व्यवस्था परिवार नियंत्रित करता है। यह फीचर एनपीसीआई भीम सर्विसेज लिमिटेड द्वारा पेश की गई है। कंपनी का कहना है कि यह परिवार, स्टाफ और छोटे कारोबारियों के लिए रोजमर्रा के भुगतान को सुरक्षित, पारदर्शी और आसान बनाएगा। इस फीचर के तहत प्राइमरी यूजर किसी के सेकेंडरी यूजर जैसे परिवार, स्टाफ या भरोसेमंद व्यक्ति को अपनी ओर से यूपीआई पेमेंट करने की अनुमति देंगे। इसमें मासिक खर्च की लिमिट 15 हजार रुपये तय की जा सकती है। यह डेलिगेशन एक महीने से लेकर 5 साल तक मान्य रह सकता है। सारे भुगतान सीधे प्राइमरी यूजर के बैंक खाते से होंगे, लेकिन पूरी निगरानी और नियंत्रण उसी के पास रहेगा।
सेकेंडरी यूजर को खुद का बैंक या यूपीआई आईडी लिंक करने की जरूरत नहीं होगी। एनबीएसएल की एमडी और सीईओ ने ललिता नटराज ने कहा है कि फुल डेलिगेशन यूपीआई सर्कल से लोगों को फायदा होगा और रियल टाइम अप्रूवल से आगे ले जाता है यह और भरोसेमंद और सुरक्षित स्वायत्त भुगतान संभव बनाता है। यह भारतीय परिवारों और व्यवसायियों के प्राकृतिक तरीके, विश्वास, लचीलापन और जवाबदेही को मजबूत करता है। भीम ऐप के इस फीचर का सबसे ज्यादा फायदा वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगा। परिवार उन्हें छोटे भुगतान के लिए स्वतंत्र बना सकते हैं। साथ ही उन्हें डिजिटल पेमेंट सीखने में भी मदद मिलेगी। इस फीचर का फायदा स्टूडेंट्स को भी मिलेगा। माता-पिता उन्हें सुरक्षा के साथ महीने की खर्च सीमा में भुगतान की अनुमति दे सकेंगे। कारोबारी अपने स्टाफ को ईंधन, टोल या अन्य खर्चों के लिए भुगतान की सीमित अनुमति दे सकेंगे। कैश हैंडलिंग का झंझट कम और पारदर्शिता बढ़ेगी।

