Property Law in India: प्रॉपर्टी और जमीन-जायदाद से जुड़े विवाद भारत के लगभग हर परिवार में एक आम समस्या है। इन विवादों की सबसे बड़ी वजह होती है कानूनी नियमों की सही जानकारी न होना। ऐसा ही एक आम सवाल जो कई परिवारों में उठता है, वह यह है कि अगर पिता ने अपनी मेहनत की कमाई से खरीदा हुआ घर अपने बड़े बेटे के नाम पर रजिस्टर करवा दिया है, लेकिन कुछ समय बाद वह इसे अपने छोटे बेटे को देना चाहते हैं, तो क्या यह संभव है? इसका जवाब सीधा ‘हां’ या ‘नहीं’ में नहीं है, बल्कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि संपत्ति का मौजूदा कानूनी मालिक कौन है। चलिए, इसे दो अलग-अलग परिस्थितियों में समझते हैं।
जब पिता ही संपत्ति का असली मालिक हो
अगर पिता ने घर अपने पैसों से खरीदा है और रजिस्ट्री करवाते समय सिर्फ ‘केयरटेकर’ या ‘लाभार्थी’ के तौर पर बड़े बेटे का नाम दर्ज करवाया है, और संपत्ति का असली मालिकाना हक (Ownership) अभी भी पिता के पास ही है, तो वह आसानी से इसे छोटे बेटे को ट्रांसफर कर सकते हैं। यह सबसे आसान, सस्ता और सबसे लोकप्रिय तरीका है। अगर पिता जीवित हैं और संपत्ति पर उनका पूरा नियंत्रण है, तो वह ‘गिफ्ट डीड’ बनवाकर अपनी प्रॉपर्टी को छोटे बेटे के नाम पर ट्रांसफर कर सकते हैं। इसमें उन्हें बस स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री फीस का भुगतान करना होता है। एक बार गिफ्ट डीड रजिस्टर हो जाने के बाद, छोटा बेटा उस संपत्ति का कानूनी मालिक बन जाता है।
दूसरा तरीका बिक्री का है। पिता चाहें तो एक नाम मात्र की कीमत (जैसे 1 लाख रुपये) लेकर घर की रजिस्ट्री छोटे बेटे के नाम पर कर सकते हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया में स्टांप ड्यूटी और अन्य शुल्क गिफ्ट डीड की तुलना में ज्यादा लगते हैं, इसलिए लोग इस विकल्प को कम ही अपनाते हैं। अब आते हैं उस स्थिति पर, जो सबसे ज्यादा विवादों का कारण बनती है। अगर पिता ने घर खरीदते समय रजिस्ट्री सीधे बड़े बेटे के नाम पर ही करवा दी थी और खुद अपना मालिकाना हक पूरी तरह से छोड़ दिया था, तो अब कानूनी रूप से उस संपत्ति का एकमात्र मालिक बड़ा बेटा है, पिता नहीं। ऐसी स्थिति में, पिता चाहकर भी बड़े बेटे की सहमति के बिना वह घर छोटे बेटे को नहीं दे सकते। कानून की नजर में, अब वह संपत्ति बड़े बेटे की है और उसे किसी और को ट्रांसफर करने का फैसला भी सिर्फ वही ले सकता है। अगर बड़ा बेटा उस प्रॉपर्टी को छोटे भाई के नाम पर ट्रांसफर करने से मना कर देता है, तो पिता के पास कानूनी रूप से कोई विकल्प नहीं बचता है। इसलिए, किसी भी प्रॉपर्टी को अपने बच्चों के नाम पर ट्रांसफर करते समय भविष्य की सभी संभावनाओं पर विचार करना बेहद जरूरी है। अगर आप चाहते हैं कि संपत्ति पर आपका नियंत्रण बना रहे, तो वसीयत (Will) एक बेहतर विकल्प हो सकता है, जो आपके निधन के बाद ही लागू होती है।