Best Business Idea: गांव में इस बिजनेस से 100 दुकानदारों को सप्लाई, खर्चा काटकर हो रही है ₹4 लाख कमाई
न्यूज हाइलाइट्स
सारांश:
Best Business Idea: आजकल गांव में रहकर पैसे कमाने और काम की तलाश करना काफी मुश्किल काम माना जाता है। लेकिन कहते हैं कि कुछ सोचने से काम करना बहुत आसान हो जाता है। क्योंकि उस काम में आने वाली चुनौतियों से वह सीखता है यही कारण है कि आज हम एक बिहारी गांव की कहानी बताने जा रहे हैं। जहां एक भी सब्जी या किराने की दुकान नहीं है। लेकिन गाँव के एक व्यक्ति ने ही फैक्ट्री बनाई। जो आज भी गांव के 22 लोगों को काम दे रहा है। आइए देखें कि गाँव के इस लड़के ने क्या किया।
ग्राम्य उद्यम का विचार
उस व्यक्ति का नाम है तेज नारायण सिंह। तेज नारायण सिंह बिहार के नटवा गांव के निवासी हैं। तेजनारायण पहले बड़े शहरों में रहते थे, जहां वे कपड़ा बुनाई और सिलाई का काम करते थे। बाद में, जब उन्होंने कई वर्षों तक इसे सीखा, तो उन्होंने सोचा कि क्यों न वे खुद इसे शुरू कर दें? क्योंकि दूसरे शहर में रहकर काम करना बहुत मुश्किल है
गांव में ही कपड़ा बुनाई की फैक्ट्री बना दी
इसके बाद तेज नारायण ने गांव में कपड़ा बुनाई की फैक्ट्री शुरू की। शुरू में, बहुत से लोगों ने उन्हें गांव में रखने की बजाय किसी बड़े शहर में रखने की सलाह दी। ताकि ये काम वहां आसानी से हो सकें। लेकिन तेजनारायण ने गांव में काम करने का विचार किया। उस समय उनके गांव में ना तो किरयाने की दुकान थी ना ही सब्जी की दुकान, इससे उनके गांव के पिछड़े होने का अनुमान लगाया जा सकता है। हर व्यक्ति को गाँव छोड़ना पड़ा। तेजनारायण को गांव में रहकर इस तरह का काम शुरू करना बहुत मुश्किल था। क्योंकि गांव में बिजली की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी और अनुभवी लोग भी नहीं थे।
अब तक 22 लोगों को नौकरी मिली
आज, तेजनारायण ने अपनी सूझबूझ से जो काम शुरू किया था, उसके परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। तेज नारायण गांव की फैक्ट्री आज 22 लोगों को काम देती है। उनकी फैक्ट्री में गांव के लोगों का काम मिलता है जो पहले दूसरे शहर में काम करते थे। लेकिन उन्हें गांव की फैक्ट्री में काम करना पसंद आया जब उन्हें पता चला कि अब उनके गांव में ही एक कपड़ा बुनाई की फैक्ट्री है। ताकि गांव में रहकर काम भी कर सकें। तेज नारायण चाहते हैं कि आने वाले समय में ये आंकड़े और अधिक होंगे।
गांव में रहकर अच्छी आय
आज तेजनारायण कहते हैं कि उन्हें खुशी है कि उन्होंने गांव में कपड़ा सिलाई की फैक्ट्री खोली। आज बिहार के गोपालगंज जिले के बाहर भी लगभग सौ बाजारों में उसके बनाए कपड़े बेचे जाते हैं। साथ ही गाँव के 22 लोगों को काम मिल गया है। जिससे वे गांव में रहकर अपने परिवार को पाल रहे हैं। वे इसे किसी सपने से कम नहीं समझते थे।
बिजनेस सरकार की मदद से और बड़ा होगा
तेज नारायण का कहना है कि वे इस उद्यम (व्यवसाय की कल्पना) को और बड़ा बना सकते हैं अगर सरकार भी कुछ सहयोग दे। साथ ही बिहार सरकार ऐसे लोगों को सहायता देने से दूसरों को भी नए अवसर मिल सकते हैं। क्योंकि बहुत से बिहारी ऐसे हैं जो इस समय मुंबई और गुजरात में रहकर कपड़े बना रहे हैं। वह भी अपने गांव में लौट सकते हैं अगर सरकार उन्हें सहायता देती है।
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