Cloudburst in Uttarkashi: बादल फटने से मची तबाही के बाद कैसे मिलता है मुआवजा, ये है नियम


Cloudburst in Uttarkashi: पहाड़ों पर एक बार फिर कुदरत का कहर देखने को मिला है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने से जो तबाही का मंजर सामने आया, उसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। खीर गंगा नदी के रौद्र रूप ने कई घरों, दुकानों को अपनी चपेट में ले लिया और 4 जिंदगियां खत्म हो गईं, जबकि कई अब भी लापता हैं।
इस दर्दनाक हादसे के बाद, हर किसी के मन में यह सवाल है कि जिन परिवारों ने अपनों को खोया या जिनका सब कुछ इस आपदा में तबाह हो गया, उन्हें सरकार से क्या मदद मिलती है? मुआवजा पाने की प्रक्रिया क्या है और इसके लिए कहां जाना पड़ता है? आइए, इसे बिल्कुल सरल भाषा में समझते हैं। भारत में बादल फटने, बाढ़ या भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत एक व्यवस्थित ढांचा तैयार किया गया है। इसी के तहत राहत और मुआवजे की राशि दी जाती है, जो दो मुख्य स्रोतों से आती है:
- राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF): यह केंद्र सरकार का कोष है, जो गंभीर आपदा की स्थिति में राज्यों को मदद भेजता है।
- राज्य आपदा राहत कोष (SDRF): यह हर राज्य का अपना फंड होता है, जिससे आपदा के तुरंत बाद पीड़ितों तक तत्काल राहत पहुंचाई जाती है।
किस नुकसान पर कितनी मिलती है आर्थिक मदद?
सरकार ने अलग-अलग नुकसान के लिए मुआवजे की राशि तय की हुई है:
- मृत्यु होने पर: आपदा में किसी व्यक्ति की जान जाने पर केंद्र सरकार की ओर से उसके परिवार को 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके अलावा, राज्य सरकार (जैसे उत्तराखंड सरकार) भी अपनी तरफ से 2 से 4 लाख रुपये तक की अतिरिक्त राशि देती है।
- गंभीर रूप से घायल होने पर: अगर कोई व्यक्ति गंभीर रूप से घायल होता है, तो उसके इलाज पर आने वाला पूरा खर्च सरकार उठाती है।
- संपत्ति के नुकसान पर: यदि किसी का घर, दुकान, फसल या मवेशी (पशुधन) का नुकसान होता है, तो स्थानीय प्रशासन इसका सर्वे करता है और तय नियमों के अनुसार मुआवजा राशि तय करता है।
मुआवजा पाने की पूरी प्रक्रिया क्या है?
सरकारी मदद पाने के लिए एक सीधी और सरल प्रक्रिया है, लेकिन इसकी जानकारी होना बेहद जरूरी है:
- प्रशासन को सूचित करें: सबसे पहले, प्रभावित परिवार को आपदा से हुए नुकसान की जानकारी अपने स्थानीय प्रशासन, जैसे ग्राम प्रधान, पटवारी, तहसील या ब्लॉक कार्यालय को देनी होगी।
- नुकसान का सर्वे: सूचना मिलने पर, सरकारी टीम प्रभावित इलाके का दौरा करती है और नुकसान का आकलन कर एक रिपोर्ट तैयार करती है।
- जरूरी दस्तावेज जमा करें: मुआवजे के लिए आवेदन के साथ कुछ कागज जमा करने होते हैं:
- मृत्यु की स्थिति में मृत्यु प्रमाण पत्र और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट।
- पहचान के लिए आधार कार्ड या वोटर आईडी।
- प्रशासन द्वारा बनाई गई नुकसान की पुष्टि रिपोर्ट।
सत्यापन और भुगतान: इन सभी दस्तावेजों के सत्यापन (Verification) के बाद, मुआवजे की राशि सीधे पीड़ित परिवार के बैंक खाते में भेज दी जाती है। उत्तरकाशी की यह घटना हमें याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदाएं कितनी विनाशकारी हो सकती हैं। हालांकि सरकार की ओर से मदद का प्रावधान है, लेकिन यह जरूरी है कि प्रशासनिक अधिकारी बिना देरी और पूरी पारदर्शिता के साथ काम करें ताकि प्रभावित परिवारों को जल्द से जल्द राहत मिल सके।