SC Judgement on TET: लाखों शिक्षकों की नौकरी पर लटकी तलवार! सुप्रीम कोर्ट का फरमान- 2 साल में पास करो TET वरना…

Supreme court new rule for teachers: देश भर के सरकारी शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। पहली से आठवीं कक्षा तक के शिक्षकों को अब नौकरी में बने रहने के लिए 2 साल के भीतर शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करनी होगी। इस फैसले के बाद लाखों शिक्षकों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है।

SC Judgement on TET: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के शिक्षकों के लिए एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसके बाद से शिक्षा जगत में हड़कंप मच गया है। इस एक फैसले ने लाखों शिक्षकों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं और उन्हें सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर कर दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के सभी शिक्षकों को अब शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी TET पास करना अनिवार्य होगा। यह Supreme Court decision उन शिक्षकों पर भी लागू होगा जो सालों से स्कूलों में पढ़ा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ऐसे सभी शिक्षक जो अब तक TET पास नहीं हैं, उन्हें यह परीक्षा पास करने के लिए दो साल का समय दिया जाएगा। अगर वे इस अवधि में परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं, तो उनकी नौकरी पर खतरा मंडरा सकता है। यही वजह है कि देश के अलग-अलग राज्यों में शिक्षक इस फैसले के खिलाफ भारी प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह Teacher Eligibility Test का नियम उन पर थोपा जा रहा है और यह उनके साथ नाइंसाफी है।

इस मुद्दे पर यूपी बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि यह आदेश शिक्षकों पर थोपा गया है। उनके मुताबिक, 2011 से पहले नियुक्त हुए शिक्षकों के लिए TET अनिवार्य नहीं था, लेकिन बाद में नियमों में बदलाव करके इसे सभी पर लागू कर दिया गया, जो गलत है। उनका सबसे बड़ा तर्क यह है कि आज जो शिक्षक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, उनकी उम्र 45 से 55 साल हो चुकी है। उन पर पढ़ाई के अलावा मिड-डे मील, चुनाव ड्यूटी, सर्वे और स्कूल बनवाने जैसे 14-15 तरह के कामों का बोझ है। ऐसे में उनके पास परीक्षा की तैयारी के लिए समय ही कहां बचता है? यह Teachers Protest उनकी इसी चिंता को दर्शाता है।

शिक्षक संघों की मांग है कि सरकार को इस मामले में बीच का रास्ता निकालना चाहिए। उनका कहना है कि अगर सरकार उन्हें विभागीय ट्रेनिंग दे और तैयारी के लिए पर्याप्त समय दे तो वे परीक्षा देने को तैयार हैं। शिक्षकों का कहना है कि 2017 में आए एक आदेश को अब इतने सालों बाद लागू करना गलत है, जिससे लाखों Government Teachers का भविष्य अधर में लटक गया है। शिक्षक संघ अब राज्य और केंद्र सरकारों से इस मामले में हस्तक्षेप करने और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की मांग कर रहे हैं, ताकि उनकी नौकरी पर आया संकट टल सके।