Success Story: ऑफिस-हॉस्टलों में टिफिन पहुंचाते हैं दिव्यांग पिता के बेटी जिया ने किया टॉप, पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर

Success Story: झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) के बारहवीं साइंस परीक्षा में दिव्यांग गौतम श्रीवास्तव की बेटी जिया ने अच्छा प्रदर्शन किया है। जिया श्रीवास्तव ने विज्ञान विषय में पूरे झारखंड में छठवीं जगह प्राप्त की है। जबकि रांची शहर टॉपर बन गया है। उनके पिता दिव्यांग हैं और वे हॉस्टल-ऑफिस में टिफिन देते हैं।

94.6 प्रतिशत अंकों को हासिल किया

जैक 12वीं साइंस परीक्षा में ऑल झारखंड छठी रैंक पाने वाली जिया श्रीवास्तव ने 94.6 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। जिया ने मैथ्स में 100 में से 100 अंक प्राप्त किए हैं। जबकि इंग्लिश में 89, कंप्यूटर साइंस में 89, फिजिक्स में 96 और केमिस्ट्री में 99 प्राप्त हुए हैं। इस प्रदर्शन के कारण जिया साइंस में रांची की सिटी टॉपर भी बनीं।

जिया के पिता एक पैर से दिव्यांग हैं।

जैक श्रीवास्तव, जिया श्रीवास्तव, जिसका पिता गौतम श्रीवास्तव पैर से दिव्यांग हैं। वह ऑफिस, लॉज और हॉस्टल में खाने की टिफिन देकर परिवार चलाता है। पिता गौतम ने बेटी जिया की सफलता पर कहा कि वे दो बेटियां हैं और मैंने इन्हें कभी बोझ नहीं बल्कि भगवान का आशीर्वाद समझा है। गाैतम बताते हैं कि जिया श्रीवास्तव की बड़ी बहन आंचल कुमारी श्रीवास्तव ग्रेजुएशन करने के बाद एक निजी कंपनी में काम करती है, जिससे वह अपने पिता की आर्थिक स्थिति में कुछ मदद कर सकती है।

अभी भी संख्या से संतुष्ट नहीं है

ग्यारहवीं साइंस में जिया श्रीवास्तव ने पूरे झारखंड में छठी रैंक हासिल की है, लेकिन न जिया और न उनके माता-पिता इस उपलब्धि से खुश हैं। जिया ने बताया कि कम्प्यूटर साइंस में उन्हें 89 के बजाय 99 अंक मिलने की उम्मीद थी। ऐसे में वह अब कॉपी की जांच के लिए फिर से आवेदन करेंगी। उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह से उम्मीद करते हैं कि उनके नंबरों में वृद्धि होगी। साथ ही, उनके माता-पिता की उम्मीद है कि बिटिया राज्य की सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी होगी।

सिविल सेवा में शामिल होने का सपना

जैक 12वीं साइंस की जिया श्रीवास्तव, रांची की सिटी टॉपर, आईएएस अधिकारी बनना चाहती है। एक मीडिया हाउस  से हुई एक विशेष बातचीत में जिया ने कहा कि जब उनके माता-पिता किसी महिला आईएएस अधिकारी को अखबारों में या टीवी पर देखते हैं तो वे मेरे लिए भी ऐसा सपना देखते हैं। जिया ने कहा कि उसके माता-पिता चाहते हैं कि वह यूपीएससी सिविल सर्विस की परीक्षा पास करके झारखंड कैडर में आईएएस अधिकारी बन जाए। जिससे वह झारखंड में बेटियों की शिक्षा और उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य को सुरक्षित रखकर आम लोगों के हित में कार्य कर सके। जिया के पिता गौतम का कहना है कि बिटिया को आईएएस की पढ़ाई करनी चाहिए। उसके लक्ष्यों को पूरा करना है। अब वह ऑफिस, हॉस्टल और लोगों के घरों में भी टिफिन देगा।

हर दिन छह से सात घंटे पढ़ाया

टॉपर जिया श्रीवास्तव की इस उपलब्धि पर उनकी मां ममता सिन्हा ने कहा कि बेटी ने बहुत मेहनत की है। वह रोटी खाकर अक्सर रह जाती थी। उसे लगता था कि अधिक खाने से नींद आ जाएगी और मैं पढ़ाई नहीं कर पाऊंगा। वहीं पिता गौतम बताते हैं कि जिया ने हर दिन छह से सात घंटे पढ़ाया। उसने इस दौरान सोशल मीडिया, मोबाइल फोन और टीवी से दूरी बनाए रखी।