गजब || 25 करोड़ लोग और 9 साल… मोदी सरकार ने दिखाया ऐसा कमाल; ‘गरीबी’ हुई गायब! || Poverty Headcount Ratio
न्यूज हाइलाइट्स
Poverty Headcount Ratio || भारत से गरीबी का काफी पुराना संबंध है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी रिपोर्ट के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो हाल ही में नीति आयोग की ओर से जारी किया गया है इस रिपोर्ट को न्यूज़ एजेंसी द्वारा अपनी रिपोर्ट में जारी किया गया है। लेकिन भारत में मोदी सरकार के कार्यकाल में गरीबों की संख्या में काफी कमी नजर आई है यह बात हम नहीं कह रहे हैं नीति आयोग द्वारा जारी अपनी रिपोर्ट में लिखा हुआ है
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में मोदी सरकार के नेतृत्व में देश को एक बेहद खबर सामने आई हुई है। गरीबी जनसंख्या अनुपात में पिछले 9 वर्षों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। नीति आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 9 वर्षों में देश में गरीबी में भारी गिरावट दर्ज की गई है भारत में 2005-06 से बहुआयामी गरीबी (Multidimensional poverty) से पिछले 9 सालों में 24.82 करोड़ लोग बच गए।
यूपी समेत इन राज्यों में गरीबी सबसे कम थी
भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के नौ साल (२०१३ से २०२३ तक) में लगभग २५० मिलियन लोग बहुआयामी गरीबी से बच गए हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सबसे अधिक गरीबी घटी है। नौ सालों में 248.2 मिलियन लोग बहुआयामी गरीबी से बच गए हैं, नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने बताया। यानी प्रति वर्ष २७.५ मिलियन लोग बहुआयामी गरीबी से बच रहे हैं।
A steep decline in the poverty headcount ratio during the last 9 years. The poverty headcount ratio reduced from 29.17 per cent in 2013-14 (Projected) to 11.28 per cent in 2022-23 (Projected). According to the discussion paper released today by NITI Aayog Multidimensional poverty… pic.twitter.com/LdGzWDGj8V
— ANI (@ANI) January 15, 2024
9 सालों में बहुआयामी गरीबी से 24.82 करोड़ लोग निकल गए
पिछले नौ साल में देश में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आए हैं, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर से संबंधित हैं। बहुआयामी गरीबी को स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर में सुधार से मापा जाता है। इसके साथ, इस समय 24.82 करोड़ लोग इस श्रेणी से बाहर आए हैं। आयोग ने कहा कि राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर के मोर्चों पर कमी की स्थिति को मापती है। 12 सतत विकास लक्ष्यों से जुड़े संकेतकों से यह दिखाया जाता है। इनमें पोषण, मातृत्व स्वास्थ्य, स्कूल में पढ़ाई का वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं।