MBBS abroad नई दिल्ली: भारत में डॉक्टर बनना लाखों युवाओं का सपना होता है, लेकिन NEET की कठिन परीक्षा और सीमित सीटों के कारण हर किसी का यह सपना पूरा नहीं हो पाता। ऐसे में, बहुत से छात्र विदेश जाकर MBBS करने का रास्ता चुनते हैं। हालांकि, विदेश से पढ़ाई करके लौटने के बाद भी उनकी डगर आसान नहीं होती। उन्हें भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने का लाइसेंस पाने के लिए एक और बड़ी बाधा, यानी FMGE की परीक्षा को पार करना पड़ता है। लेकिन अब, नेशनल मेडिकल कमीशन ने इस कठिन नियम में एक बड़ा बदलाव किया है।
क्या है FMGE और क्यों है यह इतना कठिन?
फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (FMGE) एक स्क्रीनिंग टेस्ट है, जिसे भारत के उन नागरिकों को पास करना अनिवार्य होता है, जो किसी दूसरे देश से मेडिकल की डिग्री लेकर आते हैं। इस परीक्षा का मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि विदेश से पढ़कर आए डॉक्टर के पास भारत में प्रैक्टिस करने के लिए जरूरी ज्ञान और कौशल है या नहीं। यह परीक्षा अपनी कठिनाई के लिए जानी जाती है और इसका पासिंग प्रतिशत भी बहुत कम रहता है। कई प्रतिभाशाली छात्र भी इस परीक्षा में कई प्रयासों के बाद भी सफल नहीं हो पाते, जिससे उनका कीमती समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है और वे डॉक्टर बनने के सपने से दूर हो जाते हैं।
इन 5 देशों में मिली FMGE से छूट, रास्ता हुआ आसान
छात्रों की इन्हीं परेशानियों को समझते हुए और कुछ देशों के उच्च शिक्षा मानकों को देखते हुए, NMC ने 5 देशों को इस अनिवार्य परीक्षा से छूट दे दी है। इसका मतलब है कि अगर कोई भारतीय छात्र इन देशों से अपनी MBBS की डिग्री पूरी करता है, तो उसे भारत में प्रैक्टिस करने के लिए FMGE नहीं देना होगा। वह सीधे इंटर्नशिप और अन्य औपचारिकताओं को पूरा कर लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकता है।
ये 5 देश हैं जहां पर पढ़ाई करके आप MBBS की डिग्री हांसिल कर सकते है। पहले स्थान पर संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) है। जहां पर विश्व स्तरीय मेडिकल कॉलेजों और रिसर्च के बेहतरीन अवसरों के लिए जाना जाता है। दूसरे स्थान पर यूनाइटेड किंगडम (UK) है। यहां पर अपनी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज और सदियों पुरानी मेडिकल शिक्षा प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है। तीसरे नंबर पर कनाडा शामिल है। यहां की मेडिकल शिक्षा को भी दुनिया में बहुत सम्मान दिया जाता है। चौथे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया है। यह देश आपनी इनोवेटिव टीचिंग और प्रैक्टिकल आधारित मेडिकल ट्रेनिंग के लिए मशहूर है। पांचवें नंबर पर न्यूजीलैंड है। यहां भी मेडिकल की पढ़ाई का स्तर बहुत ऊंचा माना जाता है।
छात्रों के लिए कैसे है यह ‘सुनहरा मौका’?
NMC का यह फैसला Study Abroad की योजना बना रहे भारतीय छात्रों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इससे न केवल उनके ऊपर से FMGE पास करने का भारी मानसिक दबाव हटेगा, बल्कि इस परीक्षा की तैयारी में लगने वाले 1-2 साल और कोचिंग पर होने वाले लाखों रुपये के खर्च से भी वे बच जाएंगे। यह कदम निश्चित रूप से भारतीय मेडिकल छात्रों को इन देशों में जाकर विश्व स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने के लिए और अधिक प्रोत्साहित करेगा।