Kullu Dussehra || भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे का शुभारंभ, कुल्लू में इंटरनेशनल दशहरा उत्सव: भगवान रघुनाथ का रथ खींचने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़;

Kullu Dussehra:  कुल्लू। आज विश्व कुल्लू दशहरा उत्सव का आगाज हो गया है।  ढालपुर (Dhalpur) में देवी-देवताओं का आगमन सुबह से ही जारी था। बहुत से देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में आते हैं। ढोल-नगाड़ों की मधुर ध्वनि पूरी घाटी को घेरती है। और भगवान की धुनों से वातावरण भक्तिमय हो गया है। शाम चार […]

Kullu Dussehra ||  भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे का शुभारंभ, कुल्लू में इंटरनेशनल दशहरा उत्सव: भगवान रघुनाथ का रथ खींचने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़;

Kullu Dussehraकुल्लू। आज विश्व कुल्लू दशहरा उत्सव का आगाज हो गया है।  ढालपुर (Dhalpur) में देवी-देवताओं का आगमन सुबह से ही जारी था। बहुत से देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में आते हैं। ढोल-नगाड़ों की मधुर ध्वनि पूरी घाटी को घेरती है। और भगवान की धुनों से वातावरण भक्तिमय हो गया है।

शाम चार बजे, भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ उत्सव का आधिकारिक शुभारंभ हुआ। भगवान रघुनाथ का दर्शन राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने किया था। रथयात्रा भुवनेश्वरी माता भेखली का इशारा मिलते ही शुरू हुई। देवताओं के इस महाकुंभ में 332 देवताओं को निमंत्रण मिले हैं। सोमवार देर शाम तक दो सौ से अधिक भक्त कुल्लू पहुंचे थे। मंगलवार सुबह भी देवताओं का आगमन जारी था। करीब 300 देवी-देवताओं का उत्सव शायद होगा। आउटर सराज के चौबीस देवता मेले में 200 किमी दूर कुल्लू पहुंचे हैं। इनमें माता भुवनेश्वरी, ब्यास ऋषि, कोट पझारी, टकरासी नाग, चोतरू नाग, बिशलू नाग, चंभू उर्टू, चंभू रंदल, सप्तऋषि, शरशाई नाग, चंभू कशोली और कुई कांडा नाग शामिल हैं।

1300 सैनिक ढालपुर में तैनात हैं और ड्रोन और सीसीटीवी से पूरी तरह से निगरानी की जा रही है। 1660 से भगवान रघुनाथ के सम्मान में ये मेला मनाया जाता है। कुल्लू दशहरा की पहली सांस्कृतिक संध्या में पार्श्व गायक साज भट्ट, दूसरी में पंजाबी गायिका सिमर कौर, तीसरी में यूफोनी बैंड और लमन बैंड, चौथी में पंजाबी गायक शिवजोत, पांचवीं में जसराज जोशी, छठी में पार्श्व गायिका मोनाली ठाकुर आकर्षण रहेंगे. हारमनी ऑफ द पाइन्स। दर्शकों को अंतिम संध्या में रमेश ठाकुर, कुशल वर्मा, लाल सिंह, खुशबू भारद्वाज और ट्विंकल जैसे लोक कलाकारों से मनोरंजन मिलेगा। दशहरा पर पहली बार मलयेशिया, रूस, साउथ अफ्रीका, कजाकिस्तान, रोमानिया, वियतनाम, केन्या, श्रीलंका, ताइवान, किरगीस्तान, इराक और अमेरिका से कलाकारों की प्रस्तुति होगी।

मंदिर स्थापना दिवस को Kullu Dussehra: भक्तो विजयदशमी को यहाँ कुल्लू दशहरे के रूप में मनाया जाता है। कुल्लू दशहरे के मुख्य देव रघुनाथ जी ही होते हैं। रघुनाथ जी अपने मंदिर से सजी धजी स्वर्णजड़ित पालकी में विराजमान होकर कुल्लू दशहरे में पधारते हैं। रघुनाथ जी की ये यात्रा ही कुल्लू दशहरे का मुख्य आकर्षण होती है। श्री रघुनाथ जी के सम्मान में राजा जगत सिंह ने वर्ष 1660 में कुल्लू में दशहरा उत्सव मनाने की परंपरा शुरू की। तभी से भगवान श्री रघुनाथ की प्रधानता में कुल्लू के हर-छोर से पधारे देवी-देवताओं का महासम्मेलन यानि दशहरा उत्सव का आयोजन अनवरत चला आ रहा है। कुल्लू घाटी का दशहरा उत्सव धार्मिक, सांस्कृति और व्यापारिक रूप से विशेष महत्व रखता है।

Kullu Dussehra ||  भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे का शुभारंभ, कुल्लू में इंटरनेशनल दशहरा उत्सव: भगवान रघुनाथ का रथ खींचने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़;
Kullu Dussehra: रघुनाथ जी चार बार आते हैं मंदिर से बाहर: भक्तों रघुनाथ जी साल में चार अवसरों पर अपने मंदिर से बाहर निकलते हैं। पहला अवसर बसंत पंचमी, दूसरा अवसर व्यास तट पर जलविहार, तीसरा अवसर वनविहार और चौथा तथा अंतिम अवसर कुल्लू दशहरा का पावन पर्व।

रघुनाथ थी जी की राजसत्ता Kullu Dussehra: भक्तों कहा जाता है कि जब तक रघुनाथ जी का मंदिर स्थापित होने के बाद, कुल्लू में रघुनाथ जी का ही अधिपत्य रहा है। राजा महाराजा उनके आशीर्वाद से ही से ही अपना राज काज चलाते रहे हैं। इस घाटी में रघुनाथ जी की मूर्ति लाने के बाद ही, यहाँ भगवान श्री राम की भक्ति की शुरुआत हुई।
रघुनाथ थी जी की राजसत्ता Kullu Dussehra: भक्तों कहा जाता है कि जब तक रघुनाथ जी का मंदिर स्थापित होने के बाद, कुल्लू में रघुनाथ जी का ही अधिपत्य रहा है। राजा महाराजा उनके आशीर्वाद से ही से ही अपना राज काज चलाते रहे हैं। इस घाटी में रघुनाथ जी की मूर्ति लाने के बाद ही, यहाँ भगवान श्री राम की भक्ति की शुरुआत हुई।

सबसे अच्छा समय Kullu Dussehra: बंधुओं अगर आप रघुनाथ मंदिर के दर्शन के साथ छुट्टी मनाने हेतु कुल्लू जा रहे हैं तो आप के लिए अप्रैल से जून का समय बेहतर है, दर्शन के साथ यहाँ की हरियाली का आनंद लेना चाहते हैं तो आपके लिए जुलाई से नवंबर का समय उचित होगा और यदि आपको दर्शन के साथ साथ बर्फवारी का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो आपके लिए दिसंबर से मार्च का समय उचित होगा।

दर्शनीय स्थल Kullu Dussehra: भक्तों, अगर आप कुल्लू स्थित रघुनाथ जी मंदिर की यात्रा पर जा रहे हैं तो कुल्लू में बिजली महादेव मंदिर का दर्शन अवश्य करें। इसके अलावा कुल्लू घाटी में देवी देवताओं के सैकड़ों मंदिर हैं उनका दर्शन भी अवश्य करें। यदि आप सैर सपाटे का शौक भी रखते हैं तो आप वॉटर और एडवेंचर स्‍पोर्ट, नग्गर, जगतसुख, देव टिब्‍बा, बंजार, मणिकर्ण और रुमसू आदि के पर्यटन का आनंद ले सकते हैं।

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