Chamba Pangi News: मौत के सफर करने पर मजबूर पांगी की जनता! खटारा बसों में जान हथेली पर रखकर चल रहे लोग, सुक्खू सरकार की ‘व्यवस्था’ की खुली पोल

Chamba Pangi News: हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र पांगी में परिवहन व्यवस्था बदहाल है। एचआरटीसी की खस्ताहाल बसों में लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं, जबकि सरकार के व्यवस्था परिवर्तन के दावे यहां फेल होते दिख रहे हैं।

Chamba Pangi News: हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार भले ही प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन का ढोल पीट रही हो, लेकिन चंबा जिले के सुदूर जनजातीय क्षेत्र पांगी की तस्वीरें कुछ और ही बयां करती हैं। यहां के लोग आज भी अपनी जान को जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं। एचआरटीसी की बसों का हाल ऐसा है कि पूछिए मत। यहां इंसान बसों में सीट पर बैठकर नहीं, बल्कि एक-दूसरे के ऊपर लदकर जा रहे हैं। पांगी में HRTC overcrowding का मंजर देखकर ऐसा लगता है मानो बस में इंसान नहीं, बल्कि भेड़-बकरियों को ठूंस दिया गया हो।

पांगी घाटी में एचआरटीसी बसों की भारी किल्लत, भेड़-बकरियों की तरह सफर कर रहे लोग।

हालात इतने बदतर हैं कि किलाड़ से करयूनी जैसे सिर्फ 15 किलोमीटर के छोटे से रूट पर भी परिवहन निगम दूसरी बस का इंतजाम नहीं कर पा रहा है। जो इक्का-दुक्का बसें चल भी रही हैं, उनकी हालत कबाड़ खाने जैसी हो गई है। ये खटारा बसें कब किस खतरनाक मोड़ पर दम तोड़ दें, इसका कोई भरोसा नहीं। इस Pangi valley transport crisis ने स्थानीय लोगों का जीना हराम कर दिया है। सरकार कर्ज का रोना रोती है, लेकिन इसका खामियाजा पांगी की भोली-भाली जनता अपनी जान दांव पर लगाकर क्यों भुगते?

किलाड़-करयूनी रूट पर बस नहीं, कबाड़ हो चुकी गाड़ियां दौड़ रहीं सड़कों पर।

सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए 40 प्रतिशत सब्सिडी के साथ प्राइवेट बस परमिट जारी करने का ऐलान तो कर दिया, लेकिन यह योजना धरातल पर औंधे मुंह गिर पड़ी। सच्चाई यह है कि पांगी की सड़कें ‘मौत का कुआं’ बनी हुई हैं। ऐसे में कौन अपनी प्राइवेट गाड़ी को इन खतरनाक रास्तों पर उतारकर नुकसान झेलना चाहेगा? यही वजह है कि सरकार की यह योजना पूरी तरह से हवाई साबित हुई है और लोग आज भी dangerous bus journey करने को अभिशप्त हैं।

निजी बस परमिट योजना हुई फेल, खराब सड़कों पर कोई नहीं चलाना चाहता बस।

स्थानीय लोगों का दर्द अब गुस्से में बदल रहा है। उनका कहना है कि एक दौर था जब स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह पांगी को अपना दूसरा घर मानते थे और उन्होंने ही यहां सड़कें पहुंचाई थीं। लेकिन उनके जाने के बाद चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, सबने पांगी को अनाथ छोड़ दिया है। लोगों का आरोप है कि आजकल के नेता और मंत्री पांगी को सिर्फ एक picnic spot समझते हैं। वे जून-जुलाई में ठंडी हवा खाने आते हैं, लेकिन जनता की मुसीबतों से उन्हें कोई लेना-देना नहीं होता।

लोगों का फूटा गुस्सा, कहा- वीरभद्र सिंह के बाद नेताओं ने पांगी को अनाथ छोड़ा।

किलाड़-करयूनी रूट की तस्वीरें गवाह हैं कि एचआरटीसी प्रबंधन सिर्फ जुगाड़ के सहारे चल रहा है। डिपो के पास न तो पर्याप्त बसें हैं और जो हैं वो भी राम भरोसे हैं। हर दिन हजारों लोग मौत के साये में सफर कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन कुंभकर्णी नींद सोया है। बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है? पांगी की जनता अब बस यही पूछ रही है कि आखिर कब तक उन्हें इस सौतेले व्यवहार का शिकार होना पड़ेगा।

उधर, किलाड़ सब डिपो के प्रभारी राम चंद ने बताया कि क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ने के कारण कई बसों में तकनीकी खराबी (ब्रेक डाउन) आ रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि डिपो में मौजूदा समय में दो ट्रैवलर समेत कुल 20 बसें ही उपलब्ध हैं, जबकि पांगी में 32 रूट निर्धारित हैं। संसाधनों के अभाव में सभी 32 रूटों पर बसें चलाना संभव नहीं हो पा रहा है।
प्रभारी ने यह भी तर्क दिया कि सर्दियों में ‘लो इनकम’ (कम आय) के कारण निगम द्वारा कुछ घाटे वाले रूटों को अस्थायी तौर पर बंद या मर्ज किया जाता है। फिलहाल उपलब्ध बसों के जरिए ही यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने का प्रयास किया जा रहा