Child Custody Case: मां से बढ़कर कुछ नहीं! मासूम बच्चे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया अपना ही फैसला


Child Custody Case: परिवार बच्चों और रिश्तों के बीच हुए विवादों का समाधान लोग अक्सर कोर्ट में करवाते है। क्योंकि उन्हें इस बात का विश्वास होता है कि न्यायालय से उन्हें निष्पक्ष का फैसला मिलेगा। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक ऐसा फैसला सुनाया जिसने यह साबित हो गया कि कोर्ट के फैसले भी हालातों के हिसाब से बदल सकते हैं। इस मामले में बात एक 13 साल के बच्चे की कस्टडी (Custody) की थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अपना पुराना फैसला बदल दिया और कहा कि बच्चों से जुड़े मामलों में कोर्ट का निर्णय अंतिम नहीं होता।
मामला जिसने सबको चौंका दिया
ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अपने किसी पुराने निर्णय को बदल दे। लेकिन ऐसा हाल ही में हुआ है। जब कोर्ट ने करीब 10 महीने पुराने उस फैसले को दोबारा सुनाया। जिसमें एक 13 साल की मासूम बच्चे की स्थायी कस्टडी उसके पिता (Father) को दी गई थी। कोर्ट ने पाया कि मां से अलग होने के बाद बच्चा मानसिक तनाव और एंग्जायटी (Anxiety) से जूझ रहा था। उसे लगातार असहज महसूस हो रहा था।
अगस्त 2024 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) के उस फैसले को सही ठहराया था जिसमें पिता को बच्चे की कस्टडी दी गई थी। लेकिन मां ने इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका (Review Petition) लगाई। उन्होंने बताया कि बच्चा भावनात्मक रूप से टूट चुका है और मनोवैज्ञानिक रिपोर्ट (Psychological Report) में उसे सेपरेशन एंग्जायटी डिसऑर्डर (Separation Anxiety Disorder) से पीड़ित बताया गया है। मां ने यह भी आरोप लगाया कि बच्चे को पिता द्वारा धमकाया जा रहा है और उसे मां से मिलने नहीं दिया जा रहा।
बच्चे के माता-पिता की शादी 2011 में हुई थी और 2012 में बच्चे का जन्म (Birth) हुआ। हालांकि रिश्तों में दरार आ गई और 2015 में दोनों ने सहमति से तलाक (Divorce) ले लिया। उस समय यह तय हुआ था कि बच्चा मां के पास रहेगा। मां ने दूसरी शादी कर ली और 2019 तक पिता ने बच्चे से संपर्क नहीं किया। 2022 में जब मां बच्चे को मलेशिया (Malaysia) ले जाना चाहती थी, तब पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने फैसला पिता के पक्ष में किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट में यह मामला फिर से पलट गया और मां को बच्चा सौंप दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्पष्ट रूप से कहा कि बच्चे की कस्टडी से जुड़े मामलों में हालात की समीक्षा करते रहना जरूरी है। क्योंकि एक स्थायी आदेश भी बच्चे की भलाई के सामने छोटा पड़ सकता है। इस फैसले ने यह संदेश दिया है कि सिर्फ कानूनी दस्तावेज ही नहीं, बल्कि मानवीय भावनाएं (Emotions) भी न्याय का हिस्सा हैं।
सवाल- सुप्रीम कोर्ट की स्थापना कब हुई?
जवाब- सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 26 जनवरी 1950 में हुई.
सवाल- सुप्रीम कोर्ट कहां पर स्थित है?
जवाब- भारत का सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली में स्थित है.