अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद में पिछले हफ्ते हुई विमान दुर्घटना के बाद बीमा कंपनियों को एक अनोखी चुनौती का सामना करना पड़ा है। दरअसल, कंपनियों को कई मामले मिल रहे हैं जिनमें पॉलिसीधारक और नामांकित व्यक्ति दोनों की मृत्यु हो चुकी है। ऐसे में बीमा कंपनियां दावे की राशि को किसे दें, इसी बात को लेकर चिंतित हैं। बीमा कंपनियों के नियमों में स्पष्ट प्रावधान हैं कि ऐसी परिस्थितियों में क्या करना चाहिए, लेकिन इसमें लगने वाली प्रक्रिया मुश्किल बना रही है। बीमा कंपनियों के कर्मचारियों का कहना है कि पीड़ितों को दावा भुगतान करना और भी मुश्किल हो जाता है जब बीमाकृत व्यक्ति और उसके द्वारा नामित व्यक्ति दोनों की मृत्यु हो जाती है।
एलआईसी के प्रशासनिक अधिकारी आशीष शुक्ला ने कहा कि बीमाधारक और नामित व्यक्ति दोनों की मृत्यु होने पर बीमा कंपनियों से उत्तराधिकार प्रमाणपत्र मांगा जाता है। कंपनी ने अब इसे एक विशिष्ट मामले के रूप में बनाया है। उन्होंने कहा, “यदि बीमाधारक और नामित व्यक्ति दोनों की मृत्यु हो जाती है, तो हम प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारियों की तलाश करते हैं, जिनमें आमतौर पर खून के रिश्ते जैसे बेटा-बेटी को लिया जाता है।” एक से अधिक बच्चे होने पर, हम उत्तराधिकारियों से घोषणापत्र लेते हैं और उनसे कंपनी के पास क्षतिपूर्ति बांड जमा करने के लिए कहा जाता है। बीमा कंपनियों ने कहा कि वे खुद सक्रिय रूप से परिवारों तक पहुंच रहे हैं और अधिकारियों द्वारा भेजे गए डेटा को अपने डेटाबेस से मिला रहे हैं। एलआईसी अधिकारी शुक्ला ने पीटीआई को बताया कि कंपनी को अब तक दस दावे अस्पताल और उसके कार्यालयों में मिले हैं। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि एक मामले में बीमाधारक ने अपने जीवनसाथी को नामित किया था, लेकिन दुर्घटना में दोनों की मौत हो गई।
इफ्को टोकियो इंश्योरेंस के प्रबंधक (दावा) मनप्रीत सिंह सभरवाल ने बताया कि इस दुर्घटना में एक कंपनी के निदेशक और उनकी पत्नी की मौत हो गई, और निदेशक पति ने अपनी पत्नी को नॉमिनी बनाया था। सभरवाल ने बताया कि व्यवसाय ने अपने कर्मचारियों को इफ्को टोकियो से समूह बीमा कराया है। टाटा एआईजी के प्रधान अधिकारी (क्षेत्रीय परिचालन) निश्चल बुच ने बताया कि अब तक उन्हें सात दावे मिले हैं, जिनमें से एक में मृतक ने अपने पति या पत्नी को नामित किया था, लेकिन उनकी मृत्यु भी विमान दुर्घटना में हुई थी।
कम्पनी को दुर्घटना पीड़ितों से चार शिकायतें मिली हैं, कहा जाज आलियांज क्षेत्रीय प्रबंधक निमिश जोशी ने। 55 लाख रुपये का निपटारा कर दिया गया समुद्री कार्गो का दावा है। उनका कहना था कि शेष तीन यात्रा बीमा पॉलिसियां 10 से 10 लाख रुपये की हैं और उन दावों को भी भुगतान किया गया है। टाटा एआईजी के अधिकारी बुच ने कहा कि उनकी कंपनी की कानूनी टीम विचार कर रही है कि क्या उन मामलों में, जहां बीमाधारक और नामित व्यक्ति दोनों की मृत्यु हो गई है, उत्तराधिकारियों की संयुक्त घोषणा मांगी जा सकती है। विशेष बात यह है कि इस दुर्घटना के मामले में बीमा कंपनिओं को केवल जीवन बीमा के मामलों से ही नहीं निपटना पड़ रहा है, बल्कि व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा, सामान बीमा और यहां तक कि समुद्री कार्गो बीमा के मामलों से भी निपटना पड़ रहा है।
न्यू इंडिया एश्योरेंस के प्रशासनिक अधिकारी प्रकाश खानचंदानी ने बताया कि कंपनी को अब तक सात दावे मिले हैं: पांच व्यक्तिगत दुर्घटना पॉलिसी से संबंधित और दो जहाज पर मौजूद समुद्री कार्गो से संबंधित। कंपनी ने 6.50 लाख रुपये का एक समुद्री कार्गो दावा निपटारा किया है। उनका कहना था कि नामांकित लोगों ने व्यक्तिगत दुर्घटना पॉलिसी के मामलों में अभी तक अपनी जानकारी नहीं दी है क्योंकि वे अभी भी शवों के निपटान की प्रक्रिया में हैं। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) ने विमान दुर्घटना के तुरंत बाद बीमा कंपनियों से कहा कि वे विदेशी चिकित्सा बीमा, व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा और जीवन बीमा पॉलिसियों को जारी करने वाले अपने डेटाबेस से मृतकों के विवरणों को सत्यापित (वेरिफाई) करें। 12 जून को हुई दुर्घटना में 270 लोग मारे गए। 241 लोग विमान में सवार थे, जबकि 29 लोग हादसे के समय उस मेडिकल कॉलेज परिसर में थे।