Indian student death in USA || अमेरिका में एक और भारतीय छात्र की मौत, 28 जनवरी से था लापता

जॉर्जिया के लिथोनिया शहर में 25 साल के भारतीय स्टूडेंट विवेक सैनी की मौत की खबर के बाद एक और छात्र की मौत

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India Student Death In US || अमेरिका में भारतीय छत्रों  की हत्या का सिलसिला थमने  का नाम नहीं ले रहा है।अमेरिका में जॉर्जिया के लिथोनिया शहर में 25 साल के भारतीय छात्र  विवेक सैनी की मौत की खबर के बाद अब एक और छात्र की मौत की खबर सामने आई है। भारतीय छात्र  28 जनवरी के  दिन से लापता था अब दो दिन बाद मौत की खबर सामने आई है।  ये मामला अमेरिका की पर्ड्यू यूनिवर्सिटी का है. छात्र पिछले दो दिनों से लापता था।  जांच अधिकारियों ने मृतक छात्र की पहचान नील आचार्य के रूप में की है। 

मृतक छात्र की मां गौरी आचार्य ने एक पोस्ट के तहत  कहा कि आखिरी बार उबर ड्राइवर ने उसे पर्ड्यू यूनिवर्सिटी में छोड़ा था।  उन्होंने पोस्ट में जिक्र किया कि हम उसके बारे में पता लगा रहे हैं।  उन्होंने लोगों से भी इसमें उनकी मदद करने के लिए अपील की है।  शिकागो में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने एक्स पर उनके पोस्ट का जवाब देते हुए कहा, ‘वाणिज्य दूतावास पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के अधिकारियों और नील के परिवार के साथ भी संपर्क में है। वाणिज्य दूतावास मृतक छात्र के परिवार की  हर संभव समर्थन और मदद करने को तैयार है। 

यूनिवर्सिटी से इंडिपेंडेंट एक मल्टीमीडिया एजेंसी, पर्ड्यू एक्सपोनेंट के अनुसार, सोमवार (29 जनवरी) को यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस डिर्पाटमेंट को लिखे एक ईमेल में, अंतरिम सीएस प्रमुख क्रिस क्लिफ्टन ने छात्रों और शिक्षकों को नील आचार्य की मृत्यु के बारे में बताते हुए मौत की पुष्टि की है।  भारतीय छात्र की मौत को लेकर अमेरिकी प्राधिकारियों ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच कर रहे हैं। दूतावास ने घटना के तुरंत बाद सैनी के परिवार से संपर्क किया और शव को भारत भेजने के लिए हरसंभव मदद की जा रही है

। भारतीय दूतावास ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हम उस भयानक, क्रूर और जघन्य घटना से बहुत दुखी हैं जिसमें भारतीय नागरिक/छात्र विवेक सैनी की मौत हो गई। यह भारत वासियों के लिए बहुत  दुखद है खास तौर से उनके लिए जिनके बच्चे इस वक्त अमेरिका जैसे ताकतवर देश मैं पढ़ रहे हैं।  सोचने वाली बात यह है की अमेरिका में अगर इसी प्रकार से भारतीय छात्रों की मौत होती रही तो आने वाले समय में उन छात्रों क लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी जो अमेरिका में जाकर अपनी पढाई करना चाहते हैं।