विधानसभा बजट सत्र के चौथे दिन भी हंगामे के बाद विपक्ष ने सदन से किया वॉकआउट

शिमला: विधानसभा बजट सत्र के दौरान आज बुधवार को कांग्रेस ने फिर सदन से वॉक आउट कर दिया। गुस्सा यह था कि जिस दिन राज्यपाल को लेकर हंगामा हुआ था,उस दिन सरकार ने एक जुर्म में दो बार सजा दे दी। पहले पांच कांग्रेसी विधायकों को सस्पेंड कर दिया। यहां भी सरकारी दिल नहीं भरा तो बाद मार्शल के जरिये एफआईआर दर्ज करवा दी। आरोप लगाया गया कि पहले ही दिन सदन को सोमवार तक के स्थगित कर दिया गया। अचानक बाद में उसी दोपहर 12 बजकर 46 मिनट पर विधायकों को यह एसएमएस आया कि सदन की कार्यवाही 12 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी। सवाल उछाला गया कि क्या हमें पंख लगे थे जो पांच मिनट में वहां पहुंच जाते।


सच है हकीकत में नजर आने वाले पंख किसी भी इंसान को नहीं लगे हैं। पर आप माननीयों से यह सवाल है कि क्या आप मानसिक पंखों की उड़ान नहीं भर रहे ? आपका अहम आपका वहम हो सकता है,पर जनता और उसके मुद्दे क्यों गौण हो गए हैं ? आप पर आफत बनी तो आपको अपनी राहत के लिए चार मिनट भी रास नहीं आए ? जनता का कभी सोचा ? लोगों की उम्र निकली जा रही है। आपकी नौकरियों की भर्ती तो हर साल पांच साल बाद आ जाती है,जनता की नौकरियों कभी सोची ? नई नौकरियां तो क्या देनी, करुणामूलक आधार वाली न तो सरकार दे पा रही है,न ही आप सरकार को आप जनता से जुड़े मुद्दों पर घेर पा रहे हो । वैसे भाजपाई पक्ष यह भी बताए क्या आम आदमी को भी कभी चंद मिनट्स के नोटिस पर कोई सुविधा दी है ? आप सभी बस अपने हक,अपने स्वाभिमान की जंग लड़े जा रहे हो।

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आप माननीय हैं,जनता सम्मानीय है। जनता है तो संविधान है। सविंधान है तो आपके पास संवैधानिक रुतबे हैं। जनता के लिए सदन में बैठिए। आपको जनता ने सदन के अंदर बिठाया है। आप बाहर बैठने को तरजीह दे रहें हैं। जो सरकार आपके साथ कर रही है,वह भी नया नहीं है। जब आप सरकार में होते हैं तब आप भी ऐसे ही करते रहे हो । एक थाली के चट्टे-बट्टे न बनो। वक़्त बदल चुका है, इसके साथ बदलो। नहीं बदले तो जनता भी “बदला” लेने में कम नहीं है। ऐसा न हो कि कोई तीसरा विकल्प आपके लिए क्लेश के रूप खड़ा कर दे। आत्मसम्मान आपका ही नहीं जनता का भी है। जनता की उम्रें खत्म हो रही हैं,और आप चार मिनटों की मजबूरी का रोना रोते हो ? एक बात और पंख जनता ही लगाती है और कांट छांट भी जनता ही करती है।

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