Farmers Protest 2024 || आखिर बार-बार क्यों हो रहा है किसानों का आंदोलन, क्या है डिमांड? जानें सबकुछ
न्यूज हाइलाइट्स
Farmers Protest 2024 || एक बार फिर किसान आंदोलन शुरू हो गया है तो आपके मन में यह सवाल जरुर होगा की किसान दोबारा यह आंदोलन क्यों कर रहें है ? साथ ही इनकी मांग क्या है ? मजदूरों और किसानों के लिए संपूर्ण कर्जमाफी योजना लागू हो।सरकार सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी पर भी कानून बनाए।नकली बीज, कीटनाशक और उर्वरक बनाने वाली कंपनियों पर सख्त जुर्माना और बीज की गुणवत्ता में सुधार।मिर्च, हल्दी और अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन।किसानों एवं खेतिहर मजदूरों को पेंशन प्रदान करना।दिल्ली आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी।
किसान आंदोलन 2.0 || Farmers Protest 2024 ||
हालांकि किसानों ने इसे चलो दिल्ली मार्च का नाम दिया है लेकिन इस किसान आंदोलन 2.0 भी कहा जा रहा है । दरअसल इस किसान आंदोलन का पैटर्न 2020-21 में हुए किसान आंदोलन से काफी मिलता जुलता है पिछली बार की तरह ही अलग-अलग राज्यों से किसान आंदोलन में शामिल होने वाले हैं इस बार किसान अपने साथ ट्रैक्टर ट्राली और राशन भी लेकर आने वाले हैं यानी पिछले बार की तरह इस बार किसानों का प्लान लंबे समय तक दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर धरना देने का है हालांकि इस आंदोलन को पिछली बार की तरह सभी किसान संगठनों का समर्थन प्राप्त नहीं है यह किसान आंदोलन स्वयं किसान मोर्चे के बैनर पर नहीं हो रहा है इसे अलग-अलग किस संगठन मिलकर आयोजित कर रहे हैं किसानों की मांगों को लेकर सरकार के साथ कई बैठ के हो चुकी हैं लेकिन फाइनल सहमति नहीं बन पा रही है तो लिए आपको बताते हैं बार-बार आंदोलन कर रहा है
किन मांगों को लेकर किसान संगठन बार-बार आंदोलन कर रहा है
- किसानों की सबसे खास मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना है किस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं
- आंदोलन में शामिल किसान कृषि ऋण माफ करने की मांग भी कर रहे हैं
- इसके साथ किस लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं
- भारत को WTO से बाहर निकल जाए ऐसी मांग की जा रही है
- कृषि वस्तुओं दूध उत्पादन फलों सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए
- किसने और 58 साल से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके ₹10000 प्रति माह पेंशन दी जाए
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और में सुधार के लिए सरकार की ओर से स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनना और और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन करना है
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को इस तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया किया जाए।
- कीटनाशक बीज अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बचों के गुणवत्ता में सुधार किया जाए
किसानों के दिल्ली को रोकने के लिए हरियाणा और पंजाब से लगने वाले सिंधू बॉर्डर पर कटीले तार लगा दिए गए हैं सड़कों पर सीमेंट के बैरिकेड हुए हैं दिल्ली में गाजीपुर टिकरी और सिंधु बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस द्वारा तैयारी कर ली गई है ताकि किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोका जा सके ।
- 1. What Are the Reasons Behind Farmers’ Protests and Their Demands?
- 2. Why Are Farmers Protesting and What Do They Demand?
- 3. What Is the Significance of Farmers’ Movements and Their Demands?
- 4. How Do Farmers’ Protests Reflect Their Demands?
- 5. What Are the Key Factors Driving Farmers’ Agitations and Their Demands?
Farmers are gearing up for another protest in Delhi, termed as the “Chalo Delhi March” or Farmer’s Movement 2.0, reminiscent of the 2020-2021 protests. Farmers from various states, including Punjab and Haryana, are joining this movement, equipped with tractors, trailers, and provisions. The protest revolves around demands such as enacting laws for Minimum Support Price (MSP), implementing recommendations of the Swaminathan Commission, waiving agricultural loans,
ensuring justice for victims of the Lakhimpur Kheri violence, withdrawing from WTO agreements, increasing subsidies on imported agricultural commodities, and providing pensions for elderly agricultural workers. The movement’s primary demand is enacting a law guaranteeing MSP. Farmers are preparing to block Delhi’s main borders until their demands are met, echoing the sentiments of the united farmer front. The movement’s duration and outcomes remain uncertain, awaiting the test of time.