Himachal ka Mausam || हिमाचल में तीन माह से नहीं हुई बर्फबारी, एक बार फिर पहाड़ों पर हिमपात का जारी हुआ अलर्ट

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न्यूज हाइलाइट्स

सारांश:

Himachal ka Mausam ||  पिछले तीन महीने से  जनजातीय जिला किन्नौर  व राजधानी ​शिमला में बर्फबारी और बारिश कम होने से बागवानों की चिंता बढ़ी है। यही नहीं, इस बार जिले में सूखे की स्थिति होने से सर्दियों में बगीचों में काम नहीं हो पाया है। अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश और बर्फबारी की कमी से संकट के बादल छाने लगे हैं।

यद्यपि बागवानों ने सेब के पौधों की प्रूनिंग शुरू कर दी है, लेकिन खाद डालने, तौलिए बनाने और नए पौधे लगाने की प्रक्रिया भी बंद हो गई है। हालाँकि, बर्फबारी का इंतजार कर रहे बागवानों ने बगीचों में नए सेब के पौधों को लगाने के लिए गड्ढे बना लिए हैं।

फरवरी में बर्फबारी से भी चिलिंग आवर्स पूरा हो सकता है 

दस वर्षों की तुलना में, फरवरी में ही अधिक वर्षा और हिमपात हुआ है। जनवरी के अंतिम दिनों में और फरवरी की शुरुआत में भी वर्षा और हिमपात होता है, तो चिलिंग आवर्स पूरा हो सकता है। पौधा चिलिंग शुरू होने के बाद सुप्तावस्था, या डोरमेसी में जाता है। फल और पौधों के उचित विकास के लिए पौधे सुप्तावस्था में जाना आवश्यक है। बागवानी विशेषज्ञों का कहना है कि फरवरी में अच्छी बर्फबारी और बारिश होने पर चिलिंग आवर्स पूरा हो सकता है।

पहाड़ों पर हो सकती है बर्फबारी

मौसम विभाग ने आज से एक सप्ताह तक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमपात व निचले क्षेत्रों में बारिश होने की संभावना जताई है जिससे लंबे इंतजार के बाद बागवानों में फिर से चिलिंग आवर्स पूरे होने की उम्मीद जगी है। सभी तरह की फसलों के लिए जनवरी में वर्षा और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमपात का होना काफी फायदेमंद रहता है।