बड़ी उपलिब्ध || चंबा के बेटा बना सहायक प्रोफेसर, अब केंद्रीय विद्यालय में की ज्वॉइनिंग

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न्यूज हाइलाइट्स

सारांश:

चंबा। कहते हैं कि कड़े परिश्रम के साथ परिवार का साथ मिल जाए तो बड़ी से बड़ी मंजिल भी हासिल की जा सकती है। इसी बात को सच कर दिखाया है हिमाचल के चंबा जिला के एक युवक ने। मिली स्विजरलैंड के नाम से मशहूर Khajjiar Panchayat के बंगबेही गांव के ओम प्रकाश शर्मा ने अपनी मेहनत के दम पर बड़ा मुकाम हासिल किया है। ओम प्रकाश शर्मा सहायक प्रोफेसर बन गए हैं।

चंबा के Khajjiar के Om Prakash बने assistant professor

छोटे से गांव के रहने वाले Om Prakash ने यह सफलता अपनी कड़ी मेहनत के दम पर हासिल की है। Om Prakash के assistant professor बनने से ना सिर्फ उसके परिजन बल्कि पूरे गांव में खुशी का माहौल है। बता दें कि ओम प्रकाश शर्मा का चयन Kendriya Vidyalaya Odisha में हुआ है। ओम प्रकाश शर्मा ने 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन ही इस पद पर ज्वाइनिंग की।

मेहनत मजदूरी के साथ जारी रखी पढ़ाई

बताया जा रहा है कि Om Prakash Sharma  के चार भाई और दो बहनें हैं। जबकि Om Prakash Sharma  के पिता स्वर्गीय deshraj लोक निर्माण विभाग में बतौर चौकीदार थे। इतना बड़े परिवार का पालन पोषण करने के साथ साथ अच्छी शिक्षा देना भी उनके लिए काफी मुश्किल भरा रहा। लेकिन इसके बाद भी ओम प्रकाश शर्मा ने अपनी मेहनत से अपने पिता के सपनों को साकार कर दिया।

स्कूलों में छुट्टियां होने पर करते थे मजदूरी

ओम प्रकाश शर्मा ने अपनी पढ़ाई के साथ साथ मेहनत मजदूरी भी की। जब भी स्कूलों में ग्रीष्मकालीन छुट्टियां होती तो ओम प्रकाश शर्मा खजियार में मजदूरी के साथ साथ फोटोग्राफी भी करते, ताकि वह अपनी पढ़ाई के लिए पैसा जुटा सकें। अपनी मेहनत के पैसों से ही वह किताबें भी खरीदते और कड़ी मेहनत करते। बता दें कि ओम प्रकाश शर्मा ने 2001 में डिग्री कॉलेज चंबा से बीए की डिग्री हासिल की। 

केंद्रीय विद्यालय ओडिशा में बने assistant professor

जिसके बाद उन्होंने धर्मशाला से बीएड और शिमला से एमएड की डिग्री हासिल की। इस दौरान ओम प्रकाश ने निजी स्कूलों में बतौर शिक्षक भी अपनी सेवाएं दी। एमएससी मैथेमैटिक्स में पास करने के बाद यूजीसी के तहत नैट की परीक्षा को पास किया। हाल ही में बीते वर्ष 2023 में पीएचडी की डिग्री पूरी की। इस दौरान Kendriya Vidyalaya Raipur  व छत्तीसगढ़ में सेवाएं दीं, लेकिन तनख्वाह कम होने के कारण गुजारा नहीं हो पा रहा था, ऐसे में अब केंद्रीय विद्यालय ओडिशा में सहायक प्रोफेसर बनने का सपना पूरा किया है।

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