Himachal News || हिमाचल के स्कूलों में फैली मंप्स बीमारी, चपेट में आए कई छात्र, विभाग ने जारी किया अलर्ट, आज करेगा सैंपलिंग
न्यूज हाइलाइट्स
Himachal News || हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर के कई स्कूलों में इन दिनों मंप्स बीमारी तेजी से फैल रही है। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने पूरी जिले में अलर्ट किया हुआ है। इस बीमारी के कारण कई स्कूलों के बच्चे इसकी चपेट में आए हुए है। वहीं विभाग की ओर से अलर्ट जारी करते हुए बुधवार को जिले के कई स्कूलों में सैंपलिंग की जा रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह बीमारी एक ऐसा रोग है कि इसके संक्रमण से लार ग्रंथियों में फैल जाती है। जिस कारण मरीज के कान के नीचे व गले में सूजन शुरू हो जाती है। जिला हमीरपुर के कई शिक्षण संस्थानों के बच्चे इस बीमारी के चपेट में आए हुए है।
बीमारी के ग्रस्त होने पर
इस बीमारी के संक्रमण से मरीज को एक सप्ताह से अधिक समय तक निरंतर बुखार से पीड़ित रहते हैं। वास्तव में, यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे में खांसते या छींकते समय हवा से निकलने वाली छोटी-छोटी बूंदों, गंदी सतहों या मुंह की लार से फैलता है। टौणीदेवी में भी ऐसे रोगी होने की शिकायतें आई हैं, इसलिए बुधवार को स्वास्थ्य विभाग यहां दो टीमें भेजेगा, जो बीएमओ टौणीदेवी को रिपोर्ट करेंगी।
सैंपलिंग करके पता लगाया जाएगा कि वास्तव में यह रोग है या नहीं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिला मुख्यालय में एक निजी स्कूल में कुछ बच्चों में मंप्स की पुष्टि हुई है। सोमवार को छुट्टी होने के बावजूद, राज्य के एक बोर्डिंग स्कूल में स्वास्थ्य विभाग की एक टीम गई थी। वहां कुछ बच्चों में मंप्स भी देखा गया है। इसके अलावा, पक्का भरो नामक एक निजी स्कूल में भी बच्चों में इस बीमारी के लक्षण देखे गए।
क्या होता है मंप्स या गलसुआ?
मंप्स एक वायरल बीमारी है। यह लार ग्रंथियों को अधिक प्रभावित करता है। मुख्य लक्षण लार ग्रंथियों में सूजन है। यह बीमारी सात से दस दिन तक रहती है। इस बीमारी में आमतौर पर गाल या जबड़े में सूजन और छूने पर दर्द होता है। इससे रोगी बुखार, थकान और कमजोरी महसूस करता है। भूख नहीं लगती और सिरदर्द रहता है। साधारण भाषा में मंप्स को टांसिल भी कहते हैं।
मम्स होने पर क्या करें-Treatment for Mumps
मम्स के लक्षण दिखते ही सबसे पहले अपने डॉक्टर को दिखाएं। इसके बाद घर में कुछ उपचारों को फॉलो करें जिसमें शामिल है
-ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन
-नमक और गर्म पानी का गार्गल करें।
-बहुत आराम से खाएं, धीमे-धीमे और चबा-चबा कर।
-एसिडिक फूड्स के सेवन से बचें जिससे आपको बार-बार पानी पीना पड़े।
-गले की खराश को शांत करने के लिए बर्फ का टुकड़ा चूसें।
-सूजी हुई ग्रंथियों पर बर्फ या हीट पैक रखें।