Himachal News || चंबा की 4 साल की बच्ची कर गई बड़ा कमाल, दो मरीजों को दिया नया जीवनदान
न्यूज हाइलाइट्स
Himachal News || (वीरू राणा पंगवाल) चंडीगढ़ के PGI (स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान) में गुर्दों का काम बंद होने से जिंदगी और मौत से जूझ रहे दो मरीजों को चार साल की एक बच्ची ने नई जिंदगी दी। 2 जनवरी को हिमाचल प्रदेश की चार साल की बच्ची एक ऊंचाई से गिरने के बाद बेहोश हो गई। जिसे एमरजैंसी में चंबा के मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया जहां। जहां पर बच्ची की हालात को देखते हुए उसे मेडिकल कॉलेज टांडा भेजा गया, जहां से वह 3 जनवरी को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर हो गई। बच्ची को पीजीआई लाने के समय उसकी हालत बहुत खराब थी। इलाज के बावजूद स्थिति सुधर नहीं रही थी। 9 जनवरी को सभी नियमों का पालन करते हुए उसे ब्रेन डैड घोषित किया गया।
पिता ने धीरे-धीरे अंगदान की सहमति दी
PGI के प्रत्यारोपण समन्वयकों ने बच्ची के अंगदान पर विचार करने के लिए उसके पिता से संपर्क किया जब यह स्पष्ट हो गया कि बच्ची अपनी स्थिति से बाहर नहीं निकल पाएगी। धीरे-धीरे पिता ने अंगदान की सहमति दी। विज्ञप्ति में कहा गया कि परिजनों द्वारा बच्ची के अंगदान करने का निर्णय जिंदगी और मौत से जूझ रहे कई मरीजों को नई जिंदगी देता है। परिजनों की इस साहसिक निर्णय ने दो मरीजों की जान बचाई, जिनके गुर्दों ने काम करना बंद कर दिया था।
बच्ची के परिजनों ने कहा कि हमारी बच्ची की कहानी लोगों को प्रेरित करेगी।
पिता ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि कोई भी परिवार इस तरह का दर्द नहीं झेला है। बच्ची के परिवार ने सोचा था कि उनकी बेटी की कहानी ऐसे परिवारों को प्रेरित करेगी जो अपने आप को ऐसी स्थिति में पाते हैं। परिजनों ने कहा कि हम लोगों को अंगदान करने के बारे में जागरूक करना चाहते हैं ताकि वे समझ सकें कि मृत्यु ही जीवन का अंत नहीं है, इसके माध्यम से लोग दूसरों को नया जीवन दे सकते हैं।
परिवार ने एक मुश्किल निर्णय लेकर दो लोगों को मार डाला: निदेशक पद
पीजीआई के निदेशक विवेक लाल ने बच्ची के अंगदान करने वाले परिवार को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह कठिन निर्णय लेने के बावजूद, बच्ची के परिवार ने अंग विफलता वाले रोगियों के अंधेरे जीवन में आशा की किरण दी है। हर साल, उनकी उदारता से सैकड़ों लोगों को जीवन का दूसरा मौका मिलता है।
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