New Banking Rules: RBI ने पिछले महीने विदेशी बैंकों के लिए भारत में संचालन की शुरुआत करने या विस्तार करने की मौजूदा नीतियों में नरमी लाने को लेकर नए नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया था। इस प्रक्रिया का आगे बढ़ते हुए वित्त मंत्रालय के तत्वाधान में अंतर-विभागीय समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें विदेशी बैंकों के भारत में संचालन और भारतीय बैंकों के विदेशियों में विस्तार करने के संदर्भ में RBI की तरफ से आए प्रस्ताव की समीक्षा की गई। माना जा रहा है कि IDC ने RBI के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है, जिसको आने वाले समय में सार्वजनिक किया जाएगा। बैठक की अध्यक्षता आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव एम. नागराजू ने की और इसमें विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय और RBI के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
वित्त मंत्रालय की तरफ से दी गई सूचना में बताया गया है कि IDC की बैठक में RBI के प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया गया, जिसमें विदेशी बैंकों के भारत में ब्रांच, प्रतिनिधि कार्यालय और सहायक कंपनियों की स्थापना शामिल है। इसके साथ ही भारतीय बैंकों के विदेशियों में विस्तार के प्रस्ताव को भी समीक्षा की गई। ये बैठक वित्तीय समावेशन और वैश्विक बैंकिंग सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा विदेशी बैंकों द्वारा अपनी मौजूदा ब्रांचों को भारत के अंदर स्थानांतरित करने के अनुरोधों की भी जांच की गई। समिति ने भारतीय बैंकों के विदेशों में ब्रांच, प्रतिनिधि कार्यालय या सहायक इकाइयों के माध्यम से विस्तार के प्रस्तावों की समीक्षा की, जो भारत की वैश्विक बैंकिंग उपस्थिति को मजबूत करने का प्रयास है।
IDC वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के अधीन कार्य करती है और ये विदेशी और घरेलू दोनों बैंकों के ऐसे प्रस्तावों की नोडल विभाग है। विदेशी बैंकों का संचालन राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा होता है, इसलिए इस बारे में गृह मंत्रालय और विदेश नीति के साथ व्यापारिक हितों का समग्र मूल्यांकन किया जाता है। कुछ लोगों का ये मानना है कि अक्टूबर 2025 में RBI की तरफ से जारी ड्राफ्ट नीति कारोबारी समझौते को लेकर भारत और अमेरिका के बीच चल रही वार्ता से संबंधित है। अमेरिकी सरकार अपने वित्तीय और बैंकिंग संस्थानों को भारत में ज्यादा तेजी से विस्तार करने के पक्ष में है, जबकि इस बारे में RBI और भारत सरकार फूंक-फूंक कर कदम उठाते रहे हैं।
भारत और अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालयों के बीच में कारोबारी समझौते को लेकर जो बातचीत चल रही है, उसमें एक-दूसरे के वित्तीय और बैंकिंग संस्थानों को ज्यादा सुविधाजनक माहौल देने का विषय भी शामिल है। RBI के हालिया ड्राफ्ट में पारस्परिकता के सिद्धांत का हवाला दिया गया, यानी कि जिन देशों में भारतीय बैंकों को विस्तार का माहौल मिलेगा, उनके बैंकों को भी भारत में वैसा ही माहौल दिया जाएगा। ड्राफ्ट नीति में विदेशी बैंकों के विस्तार को सरल बनाने को लेकर भी सुझाव हैं, जैसे वित्तीय पात्रता मापदंड को हटाना और अनुमति प्रक्रिया को तेज करना।

