कुल्लू : गुरुवार का दिन देवभूमि हिमाचल के लिए बेहद खास रहा, जब अंतरराष्ट्रीय Kullu Dussehra 2025 का पारंपरिक उल्लास के साथ आगाज हुआ। जब पूरे देश में दशहरा समाप्त होता है, तब कुल्लू में इसका जश्न शुरू होता है, और यही परंपरा इसे सबसे अनूठा बनाती है। कुल्लू का ऐतिहासिक ढालपुर मैदान देव वाद्य यंत्रों की धुनों से गूंज उठा और हर तरफ आस्था और भक्ति का माहौल छा गया। यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक तो है ही, साथ ही यह हिमाचल की समृद्ध देव संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन भी है।
365 देवी-देवताओं का अनोखा समागम
यह उत्सव भगवान रघुनाथ के सम्मान में मनाया जाता है, और Lord Raghunath Rath Yatra के साथ ही ढालपुर मैदान में 365 देवी-देवताओं का महाकुंभ सज गया है। घाटी के कोने-कोने से देवी-देवता अपनी पालकियों में सवार होकर ढालपुर पहुंचते हैं और भगवान रघुनाथ को अपनी हाजिरी देते हैं। यह नजारा इतना अद्भुत होता है कि इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग कुल्लू पहुंचते हैं। यह केवल एक मेला नहीं, बल्कि एक ऐसा देव समागम है जहां देवता स्वयं धरती पर उतरकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
सात दिनों तक दिखेगी देव संस्कृति की झलक
अगले सात दिनों तक कुल्लू का ऐतिहासिक Dhalpur Maidan सेलिब्रेशन का केंद्र बना रहेगा, जहां देव संस्कृति, परंपरा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। इस दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा और रात के समय कला केंद्र में देश के नामी कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से समां बांधेंगे। यह उत्सव न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश के पर्यटन को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाता है।
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— Patrika News Himachal (@HimacalNews) October 2, 2025

