Himachal News: कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश सरकार ने कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को निलंबित कर दिया है और आगामी निदेशक चुनाव की प्रक्रिया भी रद्द कर दी है। सरकार ने यह कदम बैंक के बढ़े हुए एनपीए और नाबार्ड की निरीक्षण रिपोर्टों में सामने आई गंभीर अनियमितताओं के आधार पर उठाया है। हालांकि, बैंक ने पिछले पांच वर्षों में एनपीए को 30% से घटाकर 19.50% तक लाने में सफलता हासिल की है और इस वर्ष 115 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ भी दर्ज किया है। लेकिन प्रबंधन पर पारदर्शिता और जिम्मेदारी को लेकर सवाल खड़े हुए हैं।
माचल प्रदेश के सबसे बड़े सहकारी बैंकों में से एक, कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक (KCC Bank) पर प्रदेश सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। बैंक में चल रही कथित अनियमितताओं और लगातार बढ़ते एनपीए पर शिकंजा कसते हुए सरकार ने पूरे बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (BOD) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही, बैंक में होने वाली आगामी निदेशक चुनाव की प्रक्रिया को भी रद्द कर दिया गया है, जिससे बैंकिंग और राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है।
क्यों हुई यह बड़ी कार्रवाई?
सरकार के इस सख्त कदम के पीछे दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं। पहला, बैंक का बढ़ता हुआ नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA), यानी ऐसा कर्ज जिसके वापस आने की उम्मीद कम है। दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण कारण नाबार्ड (NABARD) की निरीक्षण रिपोर्ट है। इस NABARD report में बैंक के कामकाज को लेकर कई गंभीर अनियमितताओं और गड़बड़ियों का खुलासा किया गया था, जिसके बाद सरकार को यह कड़ा फैसला लेना पड़ा।
मुनाफे के बावजूद क्यों गिरी गाज?
इस पूरे मामले में एक दिलचस्प मोड़ यह है कि हाल के वर्षों में बैंक के प्रदर्शन में सुधार देखने को मिला था। पिछले पांच सालों में बैंक ने अपने एनपीए को 30% से घटाकर 19.50% तक लाने में सफलता पाई थी। यही नहीं, इस साल बैंक ने 115 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा भी कमाया था। लेकिन इन आंकड़ों के बावजूद, प्रबंधन की पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर लगातार सवाल उठ रहे थे।
पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर उठे सवाल
सूत्रों के मुताबिक, नाबार्ड की रिपोर्ट में प्रबंधन के स्तर पर कई ऐसी खामियां उजागर हुईं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। Bank management issues को देखते हुए सरकार को यह महसूस हुआ कि वित्तीय आंकड़ों से ज्यादा जरूरी बैंक में एक पारदर्शी और जवाबदेह शासन सुनिश्चित करना है। इसी को ध्यान में रखते हुए फिलहाल पूरे निदेशक मंडल को निलंबित कर दिया गया है, ताकि बैंक की कार्यप्रणाली में सुधार लाया जा सके।