शिमला: हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार को अपने एक बड़े फैसले पर महज 48 घंटों के भीतर ही यू-टर्न लेना पड़ा है। प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों (Himachal Employees) के भारी विरोध और दबाव के आगे झुकते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वेतनमान (Pay Scale) से जुड़े उस विवादित नोटिफिकेशन को वापस लेने का ऐलान कर दिया है, जिसे लेकर प्रदेश में सियासी भूचाल आ गया था।
क्या था पूरा मामला, जिस पर मचा था बवाल?
दरअसल, 7 अगस्त को प्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने एक नोटिफिकेशन (Notification) जारी किया था। इस नोटिफिकेशन (Notification) में यह कहा गया था कि भविष्य में राज्य सरकार में होने वाली सभी भर्तियों पर पंजाब वेतनमान की जगह केंद्रीय वेतनमान के नियम लागू होंगे। इस फैसले के सामने आते ही प्रदेश के कर्मचारी संगठनों (Employee organizations) ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया । कर्मचारी संगठनों का आरोप था कि यह फैसला कर्मचारियों के साथ धोखा है। उनका कहना था कि केंद्रीय वेतनमान लागू होने से भविष्य में भर्ती होने वाले कर्मचारियों को पंजाब वेतनमान की तुलना में कम सैलरी मिलेगी और उनके कई भत्ते भी प्रभावित होंगे। इसे कर्मचारियों के हितों पर एक बड़ा कुठाराघात माना जा रहा था, जिसके बाद सरकार पर इस फैसले को वापस लेने का भारी दबाव बन गया था।
बैकफुट पर आई सरकार, CM ने किया ऐलान
कर्मचारियों की नाराजगी और बढ़ते विरोध को देखते हुए सरकार को आखिरकार अपने कदम पीछे खींचने पड़े। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Chief Minister Sukhwinder Singh Sukhu) ने मीडिया से बात करते हुए कहा, हमारी सरकार कर्मचारी हितैषी सरकार है। हमने कर्मचारियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए 7 अगस्त को जारी किए गए पे-स्केल संबंधी नोटिफिकेशन को तत्काल प्रभाव से वापस लेने का फैसला किया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे मामले का गहन अध्ययन करने के लिए जल्द ही एक कमेटी का गठन किया जाएगा। यह कमेटी सभी पहलुओं पर विचार करेगी और अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगी, जिसके बाद ही कोई अगला निर्णय लिया जाएगा।
कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत
सरकार के इस यू-टर्न को प्रदेश के लाखों कर्मचारियों और उनके संगठनों की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। कर्मचारियों की एकजुटता के आगे सरकार को झुकना पड़ा और एक ऐसा फैसला वापस लेना पड़ा, जिसका असर प्रदेश के लाखों युवाओं और भविष्य में सरकारी नौकरी पाने वाले लोगों पर पड़ सकता था। यह फैसला प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत बनकर आया है।