Himachal News: भगवान भरोसे हिमाचल सरकार! पैसों के लिए मंदिरों की चौखट पर पहुंची सुक्खू सरकार

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सारांश:

Himachal News:  ​शिमला:  हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की स्थिति इस समय बेहद खराब बनी हुई है। प्रदेश सरकार को आर्थिक संकट से उबरने के लिए अब मंदिरों के चढ़ावे का सहारा लेना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) की सरकार ने ‘मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना’ (CM Sukh Shiksha Yojana) और ‘सुखाश्रय योजना’ (Sukh Aashray Yojana) के लिए राज्य सरकार के अधीन आने वाले मंदिरों से पैसे की मांग की है। इसके लिए सीएम सुक्खू ने सभी जिलों के उपायुक्तों (DC) को पत्र लिखकर मंदिरों के चढ़ावे में से इन योजनाओं के लिए धन देने का अनुरोध किया है।

वेतन देने तक के पैसे नहीं, आर्थिक संकट चरम पर

प्रदेश की अर्थव्यवस्था (Economy) इतनी खराब हो चुकी है कि सरकार के पास अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन (Salary) देने तक के पैसे नहीं हैं। वित्तीय संकट (Financial Crisis) इतना गहरा है कि सरकार को शौचालय कर (Toilet Tax) तक लागू करना पड़ा। हाल ही में कोर्ट (Court) ने हिमाचल भवन (Himachal Bhawan) को जब्त करने का आदेश दिया था क्योंकि राज्य सरकार बिजली कंपनी (Electricity Company) को 150 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं कर पाई थी। मुख्यमंत्री सुक्खू ने खुद स्वीकार किया कि प्रदेश का खजाना (Treasury) पूरी तरह से खाली हो चुका है, जिससे वेतन और पेंशन (Pension) में लगातार देरी हो रही है।

तेजी से बढ़ता कर्ज, सरकार के लिए बड़ी चुनौती

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस सरकार (Congress Government) के वित्तीय कुप्रबंधन (Mismanagement) के कारण हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) भारी कर्ज (Debt) के बोझ तले दब चुका है। आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश का कर्ज वर्ष 2018 में 47,906 करोड़ रुपये था, जो 2023 में बढ़कर 76,651 करोड़ रुपये हो गया। 2024 तक यह बढ़कर 86,589 करोड़ रुपये हो चुका है और जल्द ही यह 1 लाख करोड़ रुपये के पार जा सकता है। हिमाचल में कर्ज की स्थिति हमेशा से गंभीर रही है, लेकिन पहले की सरकारें इसे अलग-अलग तरीकों से संभालती रहीं। हालांकि, कांग्रेस सरकार की 10 गारंटियों (10 Guarantees) ने प्रदेश को आर्थिक संकट के मुहाने पर ला खड़ा किया है।

वादा किया बहुत, पूरा कुछ भी नहीं

2022 में कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान एक लाख सरकारी नौकरियां (Government Jobs) देने और पांच साल में पांच लाख रोजगार के अवसर पैदा करने का वादा किया था। इसके अलावा, महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये, हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली (Free Electricity), पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme – OPS) बहाल करने जैसी कई लोकलुभावन घोषणाएं की गई थीं। लेकिन इन वादों में से अधिकतर अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। साथ ही, पिछली सरकार द्वारा दी जा रही कई सब्सिडी (Subsidy) भी बंद कर दी गई है। बावजूद इसके, प्रदेश की वित्तीय स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस संकट के लिए पूर्व बीजेपी सरकार (BJP Government) को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि उनकी नीतियों के कारण राज्य पर 1080 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार बढ़ गया।

मंदिरों के चढ़ावे पर सरकार की नजर

हिमाचल प्रदेश के मंदिरों से चढ़ावे का पैसा सरकारी योजनाओं (Government Schemes) में इस्तेमाल करने की मांग पर विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी (BJP) नेता और प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर (Jai Ram Thakur) ने इस मुद्दे पर सुक्खू सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार सनातन धर्म (Sanatan Dharma) के खिलाफ बयान देती है, तो दूसरी तरफ मंदिरों से पैसा लेकर अपनी योजनाएं चलाना चाहती है। भाजपा का कहना है कि सरकार अधिकारियों पर मंदिरों के चढ़ावे का पैसा जल्द से जल्द सरकार के खाते में जमा करने का दबाव बना रही है। विपक्ष ने जनता से भी इस फैसले का विरोध करने की अपील की है।

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