Startup Business || बिना पैसों के भी शुरू कर सकते हैं Startup! हर काम के लिए मिलती है Funding, इनमें से 9 तो ये रहे
न्यूज हाइलाइट्स
Startup Business || भारत में स्टार्टअप (startup ) संस्कृति तेजी से बढ़ रही है। स्टार्टअप संस्कृति में सबसे आम बात है फंडिंग जुटाना।वर्तमान में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम (ecosystem) है।जब बात व्यापार की आती है तो लोग अक्सर कहते हैं कि बिना पैसे के व्यापार कैसे किया जाए।ऐसे लोगों के लिए यह स्टार्टअप फंडिंग बहुत मददगार है।यहाँ सवाल यह है कि किसी स्टार्टअप को फंडिंग जुटाने के लिए क्या चाहिए? आइए 9 कारणों पर नज़र डालते हैं कि किसी स्टार्टअप को फंडिंग (funding ) की ज़रूरत क्यों पड़ सकती है।इन्हें देखकर आप भी मान जाएंगे कि आपको बिजनेस शुरू करने के लिए पैसे तो मिलेंगे ही, बस आपके पास एक बेहतरीन बिजनेस आइडिया (business Idea) होना चाहिए।
1- किसी भी स्टार्टअप के लिए प्रोटोटाइप (prototype) बनाने का पहला कदम अपने प्रोडक्ट का प्रोटोटाइप बनाना होता है। प्रोटोटाइपिंग का मतलब है कि बड़ी मात्रा में प्रोडक्ट बनाने से पहले उसका सैंपल बनाना, ताकि अगर कोई बदलाव करना पड़े तो पूरे प्रोडक्ट को बदलना न पड़े।उदाहरण के लिए, कार या बाइक (bike) बनाने वाली कंपनी एक बार में बहुत सारी यूनिट नहीं बनाती, बल्कि पहले प्रोटोटाइप बनाती है और उसका परीक्षण करती है। छोटे व्यवसायों (small business) को अक्सर प्रोटोटाइप बनाने के लिए फंडिंग की जरूरत होती है।
2- उत्पाद विकास के लिए प्रोटोटाइप की सफलता के (success ) बाद, उत्पाद विकास की बारी आती है। इसमें बहुत सारा पैसा खर्च होता है। ऐसे में कई स्टार्ट-अप फंडिंग के जरिए पैसों की इस जरूरत को पूरा करते हैं और बदले में निवेशक (investor) को व्यवसाय की कुछ इक्विटी देते हैं।
3- किसी भी व्यवसाय को बड़ा बनाने में सबसे बड़ा योगदान (contribution) एक टीम को काम पर रखना होता है।अगर किसी कंपनी की टीम अच्छी है तो वह बिजनेस को तेजी से आगे बढ़ाने की ताकत रखती है।हालांकि, टीम के लिए अच्छे लोगों को नियुक्त करना, जो काम को अच्छे से अंजाम दें, कई बार महंगा पड़ता है। ऐसे में कुछ स्टार्ट-अप (startup) अपनी टीम बढ़ाने के लिए फंडिंग भी जुटाते हैं।
4- किसी व्यवसाय में कार्यशील पूंजी के लिए दो प्रकार की पूंजी होती है।पहला फिक्स्ड कैपिटल (Capital) और दूसरा वर्किंग कैपिटल। फिक्स्ड कैपिटल में जमीन, बिल्डिंग, मशीन जैसी चीजें शामिल होती हैं। वहीं, वर्किंग कैपिटल में वे चीजें या खर्च शामिल होते हैं जो उत्पाद बनाने के लिए जरूरी होते हैं। कच्चा माल (raw meterial), टीम का वेतन, बिजली का बिल, पैकेजिंग, मार्केटिंग जैसे सभी खर्च इसके अंतर्गत आते हैं।
5- कानूनी और परामर्श सेवाओं (consultancy services)के लिए कई बार स्टार्टअप किसी ऐसी चीज से जुड़ जाता है जिसके लिए कानूनी या परामर्श सेवाओं की जरूरत होती है। बिजनेस शुरू करते समय अगर आप उस पर बहुत ज्यादा पैसा खर्च करते हैं तो उत्पाद बनाना मुश्किल हो सकता है।ऐसे में कई बार कुछ स्टार्ट-अप अपनी कानूनी और परामर्श सेवाओं के लिए फंडिंग (funding ) का भी सहारा लेते हैं।
6- किसी भी उत्पाद को बनाने में कच्चे माल और उपकरणों के लिए कच्चा माल (raw meterial) सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है। उत्पाद बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। कई बार पैसों की कमी होती है, जबकि मांग बहुत ज्यादा होती है।ऐसे में कुछ स्टार्ट-अप्स कच्चे माल या उपकरणों के लिए फंडिंग भी जुटाते हैं।
7- कई ऐसे व्यवसाय हैं, जिन्हें लाइसेंस और सर्टिफिकेट (certificate) के लिए लाइसेंस या सर्टिफिकेट की जरूरत होती है।अगर फार्मा सेक्टर के किसी भी बिजनेस की बात करें तो उसके लिए ट्रायल करना और फिर उसके आधार पर सर्टिफिकेट और लाइसेंस लेना भी जरूरी होता है। कुछ बिजनेस (business ) में तो इन लाइसेंस और सर्टिफिकेट पर बड़ी रकम खर्च होती है। ऐसे में वो स्टार्ट-अप्स अपने बिजनेस की वर्किंग कैपिटल को इस पर खर्च करने की बजाय फंडिंग जुटाने पर ध्यान देते हैं।
8- मार्केटिंग और बिक्री के लिए अगर किसी भी बिजनेस (business ) को तेजी से आगे बढ़ाना है तो उसके लिए मार्केटिंग और बिक्री जरूरी होती है, जिसमें काफी पैसा खर्च होता है।आमतौर पर व्यवसाय मार्केटिंग पर 30 से 50 प्रतिशत खर्च करते हैं। शुरुआती दौर में मार्केटिंग और बिक्री ज़्यादा अहम होती है। ऐसे में अगर इसके लिए पैसे की कमी हो तो कुछ स्टार्टअप (startup) अपनी ज़रूरत को पूरा करने के लिए फंडिंग जुटा लेते हैं।
9- ऑफिस स्पेस और एडमिन खर्च: किसी भी व्यवसाय को ऑफिस (office ) की ज़रूरत होती है और उससे जुड़े सभी खर्चे उठाने पड़ते हैं। एडमिन खर्च उनमें से एक है। कई बार स्टार्टअप (startup) अपने व्यवसाय के ऑफिस स्पेस और एडमिन खर्च के लिए भी फंडिंग जुटाते हैं।
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