FDI in India || चीन से ज्यादा भारत को पसंद कर रहे निवेशक, 100 अरब डॉलर आ सकता है FDI

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न्यूज हाइलाइट्स

सारांश:

FDI in India ||  भारत को चीन से अपनी डिपेंडेंसी कम करने के लिए अमेरिका और यूरोपीय देशों ने दूसरा विकल्प देखा है। भारत इन हालात का लाभ उठाने की तैयारी कर रहा है। भारत ने इसके लिए हर साल 100 अरब डॉलर का कार्यक्रम बनाया है। भारत सरकार ने वास्तव में 100 अरब डॉलर, यानी 8 लाख करोड़ रुपए से अधिक की सालाना एफडीआई का लक्ष्य निर्धारित किया है।  उसकी उत्पादन और सप्लाई ठप पड़ी है जब से कोविड शुरू हुआ है। उसके बाद से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के बारे में सभी को शक है। Global Investors अब ऐसे देशों की ओर देख रहे हैं जो चीन को प्रतिस्थापित कर सकते हैं। चीन को कभी विश्व अर्थव्यवस्था का आविष्कारक कहा जाता था, लेकिन अब वह लगातार कमजोर हो रहा है। अमेरिका में ठनने के बाद तो हालात और भी बदतर हो गए हैं। अमेरिकी कंपनियां लगातार नए स्थान खोजने में लगी हुई हैं। ऐसे में भारत, चीन का पड़ोसी देश, अब अमेरिका और european companies को बहुत पसंद आ रहा है।

एपल ने चीन में डावांडोल होने के बाद भारत चला गया। बाद में एपल, दुनिया की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों में से एक, ने कहा कि भारत ही चीन का स्थान ले सकता है। दूसरी कंपनियां भी धीरे-धीरे भारत की ओर बढ़ रही हैं। भारत ने भी इन हालात का फायदा उठाने के लिए एक योजना बनाई है, जिससे एक झटके में 100 अरब डॉलर (यानी 8 लाख करोड़ रुपए) की बचत होगी। हम भी आपको बताते हैं कि भारत सरकार ने ऐसा कौन सा कार्यक्रम बनाया है।

100 अरब डॉलर का योजना

भारत को चीन से अपनी डिपेंडेंसी कम करने के लिए अमेरिका और european देशों ने दूसरा विकल्प देखा है। भारत इन हालात का लाभ उठाने की तैयारी कर रहा है। भारत ने इसके लिए हर साल 100 अरब डॉलर का कार्यक्रम बनाया है। भारत सरकार ने वास्तव में 100 अरब डॉलर, यानी 8 लाख करोड़ रुपए से अधिक की सालाना एफडीआई का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसका अर्थ है कि किसी भी निवेशक को चीन छोड़कर सिर्फ भारत की ओर देखना चाहिए। कहीं और नहीं जाओ।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में 100 अरब डॉलर से अधिक का निवेश जुटाना है। एफडीआई को लेकर देश में बहुत उत्साह है। इसमें लगातार सुधार देखा जाता है। मार्च 2023 तक, पिछले पांच साल में देश में औसतन 70 अरब डॉलर का निवेश आया है। मौजूदा वित्त वर्ष में इसे 100 अरब डॉलर तक बढ़ा दिया गया है। आज भारत दुनिया की सबसे बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्था है। जहां कुछ कंपनियां स्वतंत्र रूप से भारत आ रही हैं। तो कुछ कंपनियां अभी भी चीनी विकल्प की तलाश में हैं। भारत ऐसी कंपनियों को लुभाने में लगा हुआ है।

मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में एफडीआई की कमी का कारण क्या है?

सरकार ने विदेशी कंपनियों को अनुदान देकर उत्पादन में तेजी लाने और दुनिया का सबसे बड़ा सप्लायर बनने की कोशिश की है। जो पीएलआई भी कहलाता है। एपल और सैमसंग इस पीएलआई कार्यक्रम से लाभ उठा रहे हैं। उसके बाद भी देश में उत्पादन क्षेत्र में एफडीआई की उम्मीद की तरह नहीं हुई है। मीडिया रिपोर्ट में राजेश कुमार सिंह ने कहा कि विकसित देशों में अधिक महंगाई है। साथ ही, जियो पॉलिटिकल टेंशन और इमर्जिंग मार्केट के कारण रिस्क फैक्टरों की अधिकता ने एफडीआई को कम कर दिया है। उन्होंने कहा कि इन सबके बावजूद भारत में ईवी, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स और कंज्यूमर गुड्स जैसे अन्य क्षेत्रों में वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं। उनका कहना था कि सरकार एफडीआई नियमों को और अधिक सरल बनाने पर काम करेगी।