Pangi Jukaro festival 2024 || किलाड़ में नागदेवता त्यौहर के साथ समाप्त हुआ जुकारू उत्स्व, जानिए नागदेवता की दिलचस्प कहानी
न्यूज हाइलाइट्स
Pangi Jukaro festival 2024 || पांगी: जिला चंबा की जनजातीय क्षेत्र पांगी का भाईचारे का प्रतीक जुगरू उत्सव 12 दिनों बाद नाग देवता के त्यौहार के साथ मुख्यालय किलाड़ में समाप्त किया गया। इस त्यौहार को हर साल किलाड़ की प्रजामंडल द्वारा मनाया जाता है। नाग देवता का यह त्यौहार किलाड़ के पांच गांव में मनाया जाता है। क्षेत्र के लोगों की मान्यता है कि जिस वर्ष चिन्हित गांव में नाग देवता को स्थापित किया जाता है उसे दिन इस गांव के लोग इस मेले की पूरी व्यवस्था करते हैं। मेले की व्यवस्था को लेकर पूरा गांव एकजुट हो जाता है और मेले में भाग लेने वाले नाग देवता के कारीगरों समेत कई लोगों के खान-पान की व्यवस्था गांव वासियों की जिम्मेदारी रहती है। इस मेले को लेकर गांव में काफी उत्साह रहता है और हर साल बेसब्री अपने गांववासी इस मेले का इंतजार करते है। मेले की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलने के लिए गांव वासियों द्वारा लोगों को जिम्मेदारी सौंपी जाती है। वही इस वर्ष इस उत्सव को किलाड़ के परमस गांव में मनाया जा रहा है।
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— Patrika News Himachal (@HimacalNews) February 22, 2024
गांव में हो रहे है 5 साल बाद इस उत्सव को लेकर गांववासी में काफी उत्साह देखने को मिला। क्षेत्र के लोगों की मान्यता के अनुसार जिस दिन जुकारू उत्सव शुरू होता है और पड़ीद के दिन नाग देवता को गांव के नाग देवता की कोठी यानी नागदेवता के घर में स्थापित किया जाता है। उसके बाद अगले 13 दिनों तक उसे घर का मुख्या सुबह शाम नाग देवता की पूजा अर्चना वह नाग देवता को भोग लगाता है। वही इस वर्ष नाग देवता का यह त्यौहार परमस गांव के निवासी देवीलाल के घर में मनाया गया। वीरवार को इस मेले का समापन नाग देवता को वापिस उसके स्थान पर पहुंचाने के बाद हुआ। जिस स्थान से नाग देवता को लेकर परमस गांव में स्थापित किया था वहीं आज उसे वापिस पहुंचाया उसके स्थान महालिय में स्थापित किया गया। मेले में हिस्सा लेने पहुंचे नाग देवता के कारीगरों ने मशालों व फूलों से सजाकर नाग देवता को उसके स्थान महालियत में पहुंचाया। गांव वासियों की मान्यता है कि जिस दिन नाग देवता को घर में स्थापित किया जाता है ।
उसके बाद अगले 13 दिनों तक नाग देवता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है । जब नाग देवता को वापिस महालिय के लिए लिया जाता है तो घर के पति-पत्नी को विशेष जिम्मेवारियां सौंपी जाती है। बताया जा रहा है कि जब नाग देवता को घर के मुख्य द्वार से बाहर निकाला जाता है तो घर के भीतर पति-पत्नी के हाथ के अंगूठे को बांधकर रखा जाता है। इस बंधन के बाद घर में बैठे सदस्य किसी से भी बातचीत नहीं करते हैं । यह बातचीत तब तक नहीं होती है जब तक नाग देवता को पहुंचाने गए गांववासी वापस घर नहीं पहुंचते हैं । जैसे ही नाग देवता को उसके स्थान पर पहुंचने के बाद गांववासी वापस उसे घर में आते हैं तो वह हुणसून नाग मंदिर से देवदार के पवित्र पुष्प लेकर नाग देवता के घर परमस पहुंचते हैं जिसके बाद उन्हें बंधन से मुक्त किया जाता है।
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